लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र

बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2748
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

चिन्तन की विशेषताएँ

चिन्तन, मानव का एक विशिष्ट गुण है जिसकी सहायता से वह अपनी बबर अवस्था से सभ्य अवस्था तक पहुँचने में सफल हुआ है।

चिन्तन मानव की किसी इच्छा, असन्तोष कठिनाई या समस्या के कारण आरम्भ होने वाली एक मानसिक प्रक्रिया है।

चिन्तन किसी वर्तमान या भावी आवश्यकता को पूर्ण करने के लिये एक प्रकार का व्यवहार है। जैसे अंधेरा होने पर बिजली का स्विच दबाकर प्रकाश कर लेते हैं और माँग पर चलते हुए सामने से आने वाली मोटर को देखकर एक ओर हट जाते हैं।

Mursell के अनुसार- चिन्तन उस समय आरम्भ होता है, जब व्यक्ति के समझ कोई समस्या उपस्थित होती है और वह उसका समाधान खोजने का प्रयत्न करता है।

चिन्तन की सहायता से व्यक्ति अपनी समस्या का समाधान करने के लिए अनेक उपायों पर विचार करता है। अन्त में वह उनमें से एक का प्रयोग करके अपनी समस्या का समाधान करता है।

चिन्तन एक पूर्ण और जटिल मानसिक प्रक्रिया है जो समस्या की उपस्थिति के समय से आरम्भ होकर उसके समाधान के अन्त तक चलती रहती है।

चिन्तन के विकास के उपाय

भाषा चिन्तन के माध्यम और अभिव्यक्ति की आधारशिला है। अतः शिक्षक को बालकों के भाषा ज्ञान में वृद्धि करनी चाहिये।

ज्ञान चिन्तन का मुख्य स्तम्भ है। अतः शिक्षक को बालकों के ज्ञान का विस्तार करना चाहिये।

तर्क, वाद विवाद और समस्या समाधान चिन्तन-शक्ति को प्रयोग करने का अवसर देते हैं। अतः शिक्षक को बालकों को इन बातों के लिये अवसर देने चाहिये।

उत्तरदायित्व, चिन्तन को प्रोत्साहित करता है। अतः शिक्षक को बालकों को उत्तरदायित्व के कार्य सौंपने चाहिये।

रुचि और जिज्ञासा का चिन्तन में महत्त्वपूर्ण स्थान है। अतः शिक्षक को बालकों की इन प्रवृत्तियों को जाग्रत रखना चाहिये।

प्रयोग अनुभव और निरीक्षण चिन्तन को शक्तिशाली बनाते हैं। अतः शिक्षक को बालकों के लिये इनसे सम्बन्धित वस्तुएँ जुटानी चाहिये।

शिक्षक को अपने अध्यापन के समय बालकों से विचारात्मक प्रश्न पूछकर उनकी चिन्तन की योग्यता में वृद्धि करनी चाहिये।

शिक्षक को बालकों को विचार करने और अपने विचारों को व्यक्त करने के लिये प्रोत्साहित करना चाहिये।

शिक्षक को प्रश्नपत्र में ऐसे ऐसे प्रश्न देने चाहिये, जिनके उत्तर बालक भली-भाँति विचार करने के बाद ही दे सकें।

शिक्षक को बालकों में निष्क्रिय रटने की आदत नहीं पड़ने देनी चाहिए, क्योंकि इस प्रकार का रटना चिन्तन का घोर शत्रु है।

शिक्षक को बालकों की समस्या को समझने और उसका समाधान खोजने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह उपाय बालकों में चिन्तन और अधिगम दोनों की प्रक्रियाओं के विकास में योग देता है। मरसेल का मत है।

कल्पना की शिक्षा में उपयोगिता

कल्पना बालक को अपने वर्तमान अनुभवों की सीमा को पार करने की शक्ति देती है।

कल्पना बालक को सुदूर दिशा के लोगों से सम्पर्क स्थापित करने की योग्यता प्रदान करती है।

कल्पना, बालक को ज्ञान का अजन करने के लिये प्रोत्साहित करके उसका मानसिक विकास करती है।

कल्पना बालक को अपनी अतृप्त इच्छाओं और अभिलाषाओं को पूर्ण करने का अवसर देती है।

कल्पना बालक को अपनी रचनात्मक शक्ति का विकास करने में योग देती है।

Bhatia के अनुसार- कल्पना बालक को उसके कार्यों का परिणाम बताकर उसका पथ प्रदर्शन करती है।

Ryburn के अनुसार- कल्पना बालक में दुःख की घड़ियों में सुख की प्रतिमायें उपस्थित करके उसे प्रसन्नता प्रदान करती है।

कल्पना बालक को अपने को दूसरे व्यक्तियों की स्थितियों में रखने में सहायता देकर उनके सुखों और दुःखों से परिचित कराती है।

कल्पना, बालक में उसके भावी जीवन का चित्र प्रस्तुत करके उसे उस जीवन के लिए तैयारी करने में सहयोग प्रदान करती है।

बी०एन०झा० के अनुसार- 'विद्यालय कार्य का उद्देश्य न केवल बालकों की कल्पना का विकास करना, वरन उसे उचित दिशा प्रदान करना भी होना चाहिए।"

Ryburn के अनुसार - कल्पना, बालक के समक्ष श्रेष्ठ व्यक्तियों के कार्यों और आदर्शों के चित्र उपस्थित करके उसका नैतिक और चारितिक विकास करती है।

Ryburn के अनुसार - कल्पना बालक को विभिन्न प्रकार की सामूहिक और सामाजिक 'योजनाओं को पूर्ण करने में सहायता देकर उसका सामाजिक विकास करती है।

Woodworth के अनुसार - कल्पना बालक की रचियाँ प्रवृत्तियाँ, इच्छाओं, योग्यताओं आदि को प्रकट करती है। कुशल शिक्षक इनका ज्ञान प्राप्त करके और बालक की कल्पना को उचित दिशा प्रदान करके उसके संसार को सुखमय बना सकता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book