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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2748
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 10
चिन्तन, तर्क एवं कल्पना
(Thinking, Reasoning and Imagination)

चिन्तन का अर्थ व परिभाषा

मनुष्य के सामने कभी - कभी किसी समस्या का उपस्थित होना स्वाभाविक है। ऐसी दशा में वह उस समस्या का समाधान करने के उपाय सोचने लगता है। वह इस बात पर विचार करना आरम्भ कर देता है कि समस्या को किस प्रकार सुलझाया जा सकता है। उसके इस प्रकार सोचने या विचार करने की क्रिया को 'चिन्तन' कहते हैं। दूसरे शब्दों में चिन्तन, विचार करने की वह मानसिक प्रक्रिया है, जो किसी समस्या के कारण आरम्भ होती है और उसके अन्त तक चलती रहती है।

हम चिन्तन के अर्थ को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुछ परिभाषायें दे रहे हैं-

1. रास - 'चिन्तन, मानसिक क्रिया का ज्ञानात्मक पहलू है या मन की बातों से सम्बन्धित मानसिक क्रिया है।"

2. वेलेन्टाइन - "चिन्तन शब्द का प्रयोग उस क्रिया के लिये किया जाता है, जिसमें श्रृंखलाबद्ध विचार किसी लक्ष्य या उद्देश्य की ओर अविराम गति से प्रभावित होते हैं।"

3. रेबन - "चिन्तन, इच्छा सम्बन्धी प्रक्रिया है, जो किसी असन्तोष के कारण आरम्भ होती है और प्रयास एवं त्रुटि के आधार पर चलती हुई उस अन्तिम स्थिति पर पहुँच जाती है, जो इच्छा को सन्तुष्ट करती है।"

चिन्तन के प्रकार

चिन्तन चार मुख्य प्रकार का होता है-

1. प्रत्यक्षात्मक चिन्तन (Perceptual thinking) - इस चिन्तन का संबंध पूर्व अनुभवों पर आधारित वर्तमान की वस्तुओं से होता है। माता-पिता के बाजार से लौटने पर यदि बालक को उनसे काफी दिन टॉफी मिल जाती है तो जब भी वे बाजार से लौटते हैं तभी टाफी का विचार उसके मस्तिष्क में आ जाता है और वह दौड़ता हुआ उनके पास जाता है। यह निम्न स्तर का चिन्तन है। अतः यह विशेष रूप से पशुओं और बालकों में पाया जाता है। इसमें भाषा और नाम का प्रयोग नहीं किया जाता है।

2. प्रत्ययात्मक चिन्तन (Conceptual thinking) - इस चिन्तन का सम्बन्ध पूर्व निर्मित प्रत्ययों से होता है, जिनकी सहायता से भविष्य के किसी निश्चय पर पहुँचा जाता है। कुत्ते को देखकर बालक अपने मन में उसके प्रत्यय का निर्माण कर लेता है। अतः जब वह भविष्य में कुत्ते को फिर देखता है, तब वह उसकी ओर संकेत करके कहता है - कुत्ता। इस चिन्तन में भाषा और नाम का प्रयोग किया जाता है।

3. कल्पनात्मक सिद्धान्त (Imaginative thinking) - इस चिन्तन का सम्बन्ध पूर्व अनुभवों पर आधारित भविष्य से होता है। जब माता-पिता बाजार जाते हैं तब बालक कल्पना करता है कि वे वहाँ से लौटने पर उसके लिये टॉफी लायेंगे। इस चिन्तन में भाषा और नाम का प्रयोग किया जाता है।

4. तार्किक चिन्तन (Logical thinking) - यह सबसे उच्च प्रकार का चिन्तन है। इसका सम्बन्ध किसी समस्या के समाधान से होता है। Dewey ने इसको विचारात्मक चिन्तन (Reflective thinking) की संज्ञा दी है।

तर्क का अर्थ व परिभाषा

तर्क या तार्किक चिन्तन-चिन्तन का उत्कृष्ट रूप और जटिल मानसिक प्रक्रिया है। इसे साधारणत औपचारिक नियमों से सम्बद्ध किया जाता है पर पशु और मानव इस बात का अनुभव किये बिना तक का प्रयोग करते रहते हैं। कुत्ता अपने स्वामी को कार में बैठकर जाते हुए देखकर घर में वापिस आ जाता है। बालक कुल्फी बेचने वाले की आवाज सुनकर घर से बाहर दौड़ा हुआ जाता है। हम अपने मित्र को उसकी कृपा के लिये धन्यवाद देते हैं। इन सब कार्यों का आधार तर्क है।

एक और उदाहरण लीजिये। हम अपना कलम कहीं रखकर भूल जाते हैं। हम विचार करते हैं कि हमने उससे अन्तिम बार कहाँ लिखा था। वह स्थान बैठने का कमरा था। इस प्रकार तर्क करके हम इस निष्कर्ष पर पहुँच जाते हैं कि कलम बैठने के कमरे में होगा । हम वहाँ जाते हैं और वह हमें मिल जाता है। इस प्रकार हमारी समस्या का समाधान हो जाता है। अतः हम कह सकते हैं कि तर्क, कार्य कारण में सम्बन्ध स्थापित करके हमें किसी निष्कर्ष पर पहुँचने या किसी समस्या का समाधान करने में सहायता देता है।

1. मन के अनुसार - "तर्क उस समस्या को हल करने के लिए अतीत के अनुभवों को सम्मिलित रूप प्रदान करता है, जिसको केवल पिछले समाधानों का प्रयोग करके हल नहीं किया जा सकता है।"

2. गेटस व आय के शब्दों में - "तर्क फलदायक चिन्तन है, जिसमें किसी समस्या का समाधान करने के लिए पूर्व अनुभवों को नई विधियों से पुर्नसंगठित या सम्मिलित किया जाता है।"

3. स्किनर के मतानुसार - "तर्क शब्द का प्रयोग कारण और प्रभाव के सम्बन्धों की मानसिक स्वीकृति को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। यह किसी अवलोकित कारण से एक घटना की भविष्यवाणी या किसी अवलोकित घटना से किसी कारण का अनुमान हो सकता है।"

तर्क के प्रकार

तर्क के दो मुख्य प्रकार है-

1. आगमन तर्क (Inductive reasoning)
2. निगमन तर्क (Deductive reasoning)

कल्पना का अर्थ व परिभाषा

जिस वस्तु को हम जिस प्रकार छूते, देखते या सुनते हैं उसी प्रकार वह हमारे मन के पर्दे पर चिन्हित हो जाती है। यदि हम किसी सुन्दर मकान को देख चुके हैं, तो उसकी छाप हमारे मस्तिष्क में मौजूद रहती है। कुछ समय के बाद हमें उस मकान की याद आती है। तत्काल ही हम उसका चित्र अपने मस्तिष्क में देखते हैं। इसी चित्र को प्रतिमा (Image) कहते हैं। यह प्रतिमा हमें उस मकान की सब बातों को उसी प्रकार स्मरण कराती है जिस प्रकार हम उसको देख चुके हैं।

कभी-कभी हम उस मकान के आधार पर एक नये मकान का निर्माण करने लगते हैं। यह मकान उससे कहीं सुन्दर और आलीशान है। ऐसा मकान कहीं है ही नहीं। यह तो केवल हमारे विचारों की उपज है। अप्रत्यक्ष बातों के सम्बन्ध में इस प्रकार विचार करने को ही 'कल्पना' कहते हैं। दूसरे शब्दों में कल्पना एक चेतन और आश्चर्यजनक मानसिक प्रक्रिया है, जिसमें हम अपने पिछले अनुभव के आधार पर किसी नई वस्तु का निर्माण करते हैं।

1. मकडूगल के अनुसार- 'हम कल्पना या कल्पना करने की उचित परिभाषा अप्रत्यक्ष बातों के सम्बन्ध में विचार करने के रूप में कर सकते हैं।"

2. डमविल के शब्दों में - "मनोविज्ञान में 'कल्पना' शब्द का प्रयोग सब प्रकार की प्रतिमाओं के निर्माण को व्यक्त करने के लिए किया जा सकता है।"

3. रायबन के मतानुसार- 'कल्पना वह शक्ति है जिसके द्वारा हम अपनी प्रतिमाओं का नए प्रकार से प्रयोग करते हैं। यह हमको अपने पिछले अनुभव को किसी ऐसी वस्तु का निर्माण करने में सहायता देती है जो पहले कभी नहीं थी।"

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