लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र

बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2748
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-4 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्त्वपूर्ण तथ्य

बालकों का अवधान केन्द्रित करने के उपाय

बी० एन० झा का कथन है - "विद्यालय-काय की एक मुख्य समस्या सदैव अवधान की समस्या रही है। इसीलिये, नये शिक्षक को आरम्भ में यह आदेश दिया जाता है - 'कक्षा के अवधान को केन्द्रित रखिये।"

शांत वातावरण पाठ की तैयारी
विषय में परिवर्तन
सहायक सामग्री का प्रयोग
विभिन्न विधियों का प्रयोग
बालकों की रुचियों के प्रति ध्यान
बालकों के प्रति उचित व्यवहार
बालकों के पूर्व ज्ञान का नये ज्ञान से सम्बन्ध
बालक की प्रवृत्तियों का ज्ञान
बालकों के प्रयास को प्रोत्साहन
अवधान की दशायें
अवधान को केन्द्रित करने की बाह्य दशायें
गति ( Movement)
अवधि ( Duration)
स्थिति (State)
तीव्रता (Intensity)
विषमता (Contrast)
नवीनता (Novelty)
आकार (Size)
स्वरूप (Form )
परिवर्तन (Change)
प्रकृति (Nature)
पुनरावृत्ति ( Repetition)
रहस्य ( Secrecy)

अवधान को केन्द्रित करने को आन्तरिक दशायें


रुचि ( Interest)
ज्ञान (Understanding)
लक्ष्य (Goal)
आदत (Habit)
जिज्ञासा (Curiosity)
प्रशिक्षण (Training)
मनोवृत्ति (Mood)
वंशानुक्रम (Heredity)
आवश्यकता (Need)
मूलप्रवृत्तियाँ (Instincts)
पूर्व अनुभव (Previous experience)
मस्तिष्क का विचार (Idea in mind)

 

बालकों में रुचि उत्पन्न करने के उपाय

निरन्तर मौखिक शिक्षण और अत्यधिक पुनरावृत्ति पाठ को नीरस बना देती है। अतः शिक्षक को चाहिए कि वह बालकों को प्रयोग, निरीक्षण आदि के अवसर देकर कार्य में उनकी रुचि उत्पन्न करें।

बालकों को खेल और रचनात्मक कार्यों में विशेष रुचि होती है। अतः शिक्षक को खेल विधि का प्रयोग करना चाहिए और बालकों से विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ बनवानी चाहिए।

बालकों को उसी विषय में रुचि होती है, जिसका उनको पूर्व ज्ञान होता है। अतः शिक्षक को ज्ञात से अज्ञात ( Known to unknown) का सम्बन्ध जोड़कर उनकी रुचि को बनाये रखना चाहिये।

Bhatia के अनुसार - आयु के साथ-साथ बालकों की रुचियों में परिवर्तन होता जाता है। अतः शिक्षक को इन रुचियों के अनुकूल पाठ्य विषय का आयोजन करना चाहिए। Jha के अनुसार - बालकों को अपनी मूल प्रवृत्तियों अभिवृत्तियों (Attitudes) आदि से सम्बन्धित वस्तुओं में रुचि होती है। अतः शिक्षक को उनकी रुचि के अनुकूल चित्रों स्थूल पदार्थों आदि का प्रयोग करना चाहिये।

Bhatia के अनुसार - बालकों की रुचि का मुख्य आधार उनकी जिज्ञासा की प्रवृत्ति होती है। अतः शिक्षक को इस प्रवृत्ति को जाग्रत रखने और तृप्त करने का प्रयास करना चाहिये।

Crow & Crow के अनुसार - निरन्तर एक ही विषय को पढ़ने से बालक थकान का अनुभव करने लगते हैं और उनमें रुचि लेना बन्द कर देते हैं। अतः शिक्षक को उनकी रुचि के अनुसार विषय में परिवर्तन करना चाहिये।

Bhatia के अनुसार - विभिन्नता रोचकता को सुरक्षा प्रदान करती है (Variety is a safeguard of interest)। अतः शिक्षण के समय अध्यापक को निरन्तर पाठ्य विषय की बातों को ही न बताकर उससे सम्बन्धित विभिन्न रोचक बातें भी बतानी चाहिये।

Skinner & Hairiman के अनुसार - शिक्षण के समय बालकों में विभिन्न वस्तुओं, पशुओं पक्षियों, मशीनों आदि में रुचि उत्पन्न हो जाती है। अतः शिक्षक को उन्हें भ्रमण के लिये ले जाकर उनकी रुचियों का तृप्त और विकसित करना चाहिए।

Kolesnik के अनुसार - बालकों को किसी विषय के शिक्षण में तभी रुचि आती है जब उनको इस बात का मान हो जाता है कि उस विषय का उनसे क्या सम्बन्ध है उसका उन पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, वह उनके लक्ष्यों की प्राप्ति में कितनी सहायता दे सकता है और वह उनकी आवश्यकताओं को किस प्रकार पूर्ण कर सकता है। अतः शिक्षक को बालकों और शिक्षण विषय- दोनों का ज्ञान होना चाहिए। कोलेस निक के शब्दों में- किसी विषय में छात्र की रुचि उत्पन्न करने के लिए शिक्षक को छात्र के बारे में कुछ बातें और विषय के बारे में बहुत-सी बातें जाननी चाहिए।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book