बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
आतंकवाद के कारण भी कुछ लोग विस्थापित हो जाते हैं। उदाहरण के लिए कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा कश्मीरी पण्डितों एवं हिन्दुओं को मारने के कारण वे लोग दिल्ली के आस- पास रहने चले गए।
युद्ध के कारण विस्थापन होता है। युद्ध के कारण प्रथम एवं द्वितीय विश्वयुद्ध में अनेक नगर एवं स्थान उड़ाएँ गए। जैसे जापान में हिरोशिमा एवं नागासाकी पर अमेरिकी बमबारी के कारण दोनों ही नगर उजड़ गए और लोगों को अन्य क्षेत्रों में रहने के लिए जाना पड़ा।
डॉ० एम० एस० स्वामीनाथन ने - संस्कृतीकरण के कारण भी लोगों के स्थान परिवर्तन के अनेक उदाहरण दिए हैं। इसी प्रकार गाँवों में प्रभुजातियों के दमन से छुटकारा पाने के लिए लोग गाँवों से नगरों में विस्थापित हो जाते हैं।
पिछड़े राज्यों में विकास करने के लिए सरकार ने 1968 में दो दल-पांडे कार्यकारी समिति एवं बीनू कार्यकारी समिति नियुक्त की थी।
सरकार ने बाल श्रमिकों के उत्थान के लिए प्रभावशाली कार्य किए है। सरकार की नीति यह है कि कारखानों, खानों एवं जोखिम भरे रोजगार 14 वर्ष से कम आयु के बच्चें की नियुक्ति पर रोक लगायी जाय।
निर्धनता एवं बेकारी के कारण भी लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर रहने के लिए जाना पड़ता है। गाँव में रोजगार उपलब्ध न होने पर लोग गाँव छोड़कर नगरों की ओर गमन करते हैं. क्योंकि नगरों में आय के अनेक स्रोत होते हैं अतः उनका वहाँ गुजारा संभव हो जाता है।
सामाजिक कारण अनेक बार गाँवों में उच्च जातियाँ द्वारा निम्न जातियों के शोषण के कारण वे गाँव छोड़कर अन्य क्षेत्रों में रहने के लिए चले जाते हैं।
एल० डी० सुजा ने - विकास के समाज की परिभाषा देते हुए कहा है कि "सामाजिक विकास एक प्रक्रिया है जिसके कारण अपेक्षाकृत सरल समाज एक विकसित समाज के रूप में परिवर्तित होता है।"
स्पेन्सर के अनुसार - विकास को हम केवल प्राकृतिक क्षेत्र तक ही नहीं सीमित कर सकते। यह प्रक्रिया समाज के क्षेत्र में उसी प्रकार कार्य करती है जिस प्रकार जन्तु व वनस्पति के क्षेत्र में।"
11 सितम्बर, 2001 को अलकायदा के आतंकवादियों ने अमेरिका के पेनटागन और वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पर वायुयान से आक्रमण कर बहुमंजिली इमारतों को धराशायी कर दिया। इसमें अनेक लोग मारे गए अतः विश्व के सभी देशों को मिलकर आतंकवाद से निपटना होगा।
विकास का नेहरूवादी प्रतिरूप विकास के समर्थन हेतु विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर केन्द्रित करता है।
अधिक बालश्रमिक प्रयोग करने वाले 13 राज्यों में इस समय 100 राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजनाएँ चल रही हैं, जिनमें 2.11 लाख बच्चे शामिल हैं।
केरल तथा तमिलनाडु राज्यों में जनन क्षमता के प्रतिस्थापन स्तर 2.1 कुल प्रजनन दर हासिल कर ली है।
आन्ध्र प्रदेश, कर्नाटक, उड़ीसा, पंजाब तथा पश्चिमी बंगाल की कुल प्रजनन दर 2.2 से 3.0 के मध्य है।
मध्य प्रदेश तथा हरियाणा की कुल प्रजनन दर 3.1 से 4.0 के मध्य है ।
1999 के अनुसार कुछ राज्य जैसे- असम, राजस्थान, उत्तर प्रदेश एवं बिहार में 4.1 से 4.7 तक की कुल प्रजनन दर्ज की है।
जनसंख्या जन्मदर तथा मृत्युदर राज्यों के विकास तथा असमानता का महत्वपूर्ण संकेतक है।
उत्प्रेरित विकास के अन्तर्गत विकास रहित क्षेत्र के व्यक्तियों को विकास के लिए जगाना तथा विकास सम्बन्धी योजनाओं में भाग लेनें हेतु तैयार करना है।
वनों की लकड़ी के व्यावसायिक प्रयोग तथा जड़ी-बूटियों हेतु किए जाने वाले वनों के कटाव के परिणामस्वरूप भारत में वन क्षेत्र बड़ी संख्या में कम होता जा रहा है। जितने पेड़ लगाए जाते हैं, उससे कही अधिक संख्या में बाँटे जाते हैं।
भारत में वन गाँवों से दूर होते जा रहे हैं। अनेक बार तो निहित स्वार्थों द्वारा बड़े पैमाने पर वनों में आग लगा दी जाती है। गर्मियों में ग्रामवासी वनों में आग इसलिए भी लगा देते हैं कि बरसात के बाद अच्छी घास उपलब्ध हो जाएगी।
विकास के नाम पर बनाए जाने वाले बड़े-बड़े बाध भी पारिस्थितिकीय पतन विकसित करते हैं।
भूमि या मृदा कटाव भी पारिस्थितिकीय पतन का एक प्रमुख कारण है।
भू-स्खलन तथा बाढ़ के परिणाम स्वरूप भी भूमि कटाव से पारिस्थितिकीय पतन की स्थिति पैदा हो जाती है।
जल स्रोतों में कमी भी पारिस्थितिकीय पतन का कारण है। कृषि उत्पादन बढ़ाने हेतु खादों के प्रयोग से पानी प्रदूषित होता जा रहा है तथा कम वर्षा के परिणामस्वरूप नदियों में पानी का स्तर कम होता जा रहा है। मरूस्थल को निरंतर विकास होता जा रहा है।
खतरनाक उद्योगों के कारण भी पारिस्थितिकीय संकट पैदा हो जाता है।
पारिस्थितिकीय जीव अथवा जीवों के समूहों का पर्यावरण के साथ सम्बन्ध का अध्ययन है या वह जीवों और पर्यावरण के अन्तर्सम्बन्धों का विज्ञान है।" यह परिभाषा ओडम ने दिया है।
टेलर के अनुसार "पारिस्थितिकीय वह विज्ञान है जो सभी जीवों का सम्पूर्ण पर्यावरण के साथ पूर्ण सम्बन्धों का अध्ययन करता है।"
पारिस्थितिकी का उद्देश्य हमें अपने जीवन को सरल व स्वस्थ बनाए रखने के लिए पारिस्थितिकी का पूर्ण ज्ञान होना आवश्यक है जिसमें वातावरण के विभिन्न घटकों से उचित तालमेल बैठाकर अपनी दैनिक जैविक क्रियाओं का सही संचालन कर सके।
पारिस्थितिकी के द्वारा विभिन्न क्षेत्रों जैसे—वन, मृदा, सागर, तालाब, झील आदि के वातावरण एवं इनके जीवों के सह संबंधों का अध्ययन किया जाता है।
पारिस्थितिक तन्त्र का निर्माण जैवीय या अजैवीय घटकों के एकीकरण से होता है।
पारिस्थितिक तंत्र के जैविक घटक में सभी जीवित समुदाय सम्मिलित है जैसे - (i) स्वपोषित घटक और (ii) परपोषित घटक या उपभोक्ता।
स्वपोषित घटक के अन्तर्गत वे सभी जीव आते हैं जो प्रकाश संश्लेषण कर कार्बनिक भोज्य पदार्थों का निर्माण करते हैं। इन्हें उत्पादक कहते हैं।
स्थलीय पारिस्थितिक तन्त्र में पेड़, झाड़ी, घास इत्यादि उत्पादक हैं जबकि जलीय पारिस्थितिक तंत्र में जलीय पौधों, शैवाल आदि उत्पादक हैं।
परपोषी घटक या उपभोक्ता - इनमें प्रकाश संश्लेषण क्षमता का अभाव होता हैं। ये अपना भोजन सीधे उत्पादक से प्राप्त करते हैं अथवा अन्य जीवों द्वारा संचित भोजन से प्राप्त करते हैं।
प्राथमिक उपभोक्ता अपना भोजन सीधे उत्पादकों से प्राप्त करते हैं, जैसे-चूहे, बकरी, हिरन, कीड़े तथा अन्य शाकाहारी जीव।
द्वितीयक श्रेणी उपभोक्ता अपना भोजन प्राथमिक उपभोक्ताओं से प्राप्त करते हैं जैसे-मेढ़क, बिल्ली तथा छोटे मांसाहारी जन्तु।
तृतीयक श्रेणी उपभोक्ता बड़े मांसाहारी जीव जो उपरोक्त दोनों श्रेणियों के जीवों का भक्षण करते हैं, परन्तु स्वयं अन्त में किसी अन्य जीव द्वारा खाए जाते हैं जैसे-बाज, शेर, अजगर आदि।
व्यक्ति 24 घंटे में लगभग 22000 बार श्वास लेता है।
वायुमण्डल में आक्सीजन की मात्रा 21% रहती है।
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