बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 25
पारिस्थितिकी एवं विकास
(Ecology and Development)
विस्थापन शब्द अंग्रेजी भाषा के 'Displacement' शब्द से बना है जिसका अर्थ है अपना स्थान बदलना। जब कोई व्यक्ति अथवा समूह किसी कारण से अपने स्थायी स्थान से हटा दिया जाता है तो इस क्रिया को विस्थापन कहते हैं, जबकि हटाए गए व्यक्ति को विस्थापित कहते हैं। उदाहरण के लिए भारत में बड़े-बड़े बाँधों के बनाए जाने से उसके समीप आने वाले डूबते क्षेत्र में आने वाले गाँवों तथा बस्तियों को सुरक्षा की दृष्टि से किसी अन्य क्षेत्र में बसाया गया है। यह विस्थापन का उदाहरण है।
उत्प्रेरित विस्थापन के अन्तर्गत (i) विकास रहित क्षेत्र में व्यक्तियों को विकास के लिए जगाना (ii) उन्हें अपने विकास हेतु उत्प्रेरित करना, (iii) विकास सम्बन्धी योजनाओं में भाग लेने हेतु तैयार करना आदि शामिल है। विस्थापन का आशय अविकसित क्षेत्र के लोगों को नये उत्पादन तकनीक व साधन प्रदान करने से हैं। पिछड़े राज्यों को विकास हेतु उचित सहायता देने के लिए केन्द्र सरकार ने राज्यों को विशिष्ट श्रेणी के राज्य व गैर-विशिष्ट श्रेणी के राज्यों में बाँटा है। बेरोजगारी की समस्या के निराकरण हेतु भी सरकार ने कई उपाय किये हैं। विस्थापन भारत की गम्भीर समस्याओं में से एक है। स्वतंत्रता के बाद भारत-पाकिस्तान के बँटवारे के समय जनसंख्या का भारी विस्थापन हुआ था। आज भी कुछ मामलों में जैसे - कोई फैक्ट्री लगाने के समय अथवा बड़े बाँधों के निर्माण के समय अत्यधिक जनसंख्या का विस्थापन होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनकी भूमि, मकान आदि का अधिग्रहण कर लिया जाता है। विस्थापन से तात्पर्य जब कोई व्यक्ति समूह अथवा समाज किसी कारण वश अपने स्थान से हट जाता है तो उसे विस्थापन कहते हैं। विस्थापन के कई कारण हो सकते हैं जैसे - प्राकृतिक कारण, आर्थिक कारण, राजनीतिक कारक, आतंकवाद आदि।
'पारिस्थितिकीय' (Ecology) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम जर्मन वैज्ञानिक अर्नेस्ट हैकेल ने वर्ष 1869 में किया था। इससे अभिप्राय किसी समुदाय के निर्जीव पर्यावरण और उसमें पाए जाने वाले जीवधारियों की समग्र व्यवस्था का अध्ययन करने वाला विज्ञान है। सन्तुलित पर्यावरण को पारिस्थितिकीय तन्त्र (Ecosystem) कहा जाता है। इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग ए जी टैन्सले ने वर्ष 1935 में किया था। पर्यावरण के जैविक एवं अजैविक सभी कारकों के परस्पर सम्बन्धों को पारिस्थितिकीय तन्त्र कहा जाता है। जब इसमें मानवीय प्रयासों के परिणामस्वरूप अवक्रमण होता है तो पारिस्थितिकीय अवनति कहा जाता है। सम्पूर्ण विश्व में आर्थिक विकास की जो कीमत चुकानी पड़ती है, उसमें विस्थापन के अतिरिक्त पारिस्थितिकीय अवक्रमण (जिसे अधोगति निम्नीकरण, अवनति अथवा पतन भी कहा जा सकता है) की समस्या भी प्रमुख मानी जाती है। पारिस्थितिकीय अवनति वन क्षेत्र में होने वाली कमी पानी की सतह के नीचे होने तथा भूमि कटाव के रूप में देखा जा सकता है। प्राकृतिक साधनों का अवक्रमण एक विश्व स्तर की समस्या बन गई है। तीव्र औद्योगीकरण व नगरीकरण, गहन कृषि, जनसंख्या विस्फोट, खनन तथा अन्य मानवीय क्रियाओं के परिणामस्वरूप भूमि तथा पानी के स्रोतों का अवक्रमण हुआ है।
भारत का आधे से अधिक भौगोलिक क्षेत्र किसी न किसी प्रकार के पारिस्थितिकीय अवक्रमण से प्रभावित हुआ है। वनों का तेजी से विनाश हुआ है तथा पानी के स्रोत (नदियों, झीलों तथा जमीन के नीचे पानी) कम होते जा रहे हैं तथा पानी की गुणवत्ता प्रभावित होती जा रही है। प्राकृतिक साधनों का पतन आर्थिक विकास का परिणाम तो है ही यह भारत जैसे विकासशील देश में सामाजिक, आर्थिक विकास तथा विश्व पर्यावरण के लिए खतरा बनाता जा रहा है।
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