बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
विकास एक निरन्तर चलने वाली वह प्रक्रिया है जो गर्भधारण से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है।
विकास की प्रक्रिया में शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भावनात्मक आदि पहलू सम्मिलित हैं।
मानव विकास अभिवृद्धि तक सीमित नहीं है, अपितु इसमें परिवर्तनों का वह प्रगतिशील क्रम निहित है, जो परिपक्वता के लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है।
अभिवृद्धि की तुलना में विकास एक व्यापक सम्प्रत्यय है, इसमें व्यक्ति के जीवनकाल में आये सभी परिवर्तनों को भी सम्मिलित किया जाता है।
विकास के फलस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएँ एवं योग्यता प्रकट होती है।
मानव विकास को वातावरण एवं वंशानुक्रम दोनों प्रभावित करते हैं।
एल०ई० टेलर ने कहा है - "मनुष्य में, जो कुछ वह अभी है, उससे बदल कर कुछ भिन्न हो जाने की जीवन के प्रत्येक क्षण प्रक्रिया चलती रहती है।"
व्यक्ति का जन्म, विकास तथा मृत्यु सदैव ही मानव के अध्ययन के लिए जिज्ञासा बने रहे हैं। विकास का अध्ययन मानव व्यवहार की पूर्णता को जानने के लिए होने लगा है।
विकास सामान्य प्रयत्न से अधिक महत्व की चीज है। विकास का अवलोकन किया जा सकता है एवं किसी सीमा तक इसका मूल्यांकन एवं मापन भी किया जाता है।
मानव विकास लोगों की स्वतन्त्रता और अवसरों को बढ़ाने और उनकी भलाई में सुधार करने की प्रक्रिया होती है।
आर्थिक विकास और राष्ट्रीय आय में वृद्धि विकास और प्रगति में सफलता की कुंजी है।
आर्थिक समृद्धि लोगों के जीवन को समृद्ध बनाने का एकमात्र तरीका है। इसके अतिरिक्त मानव जीवन के ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ आर्थिक विकास पर्यावरणीय गिरावट और खराब स्वास्थ्य जैसे सुधार लाने में अप्रभावी हो सकता है।
विकास अभिवृद्धि तक सीमित नहीं है, अपितु इसमें परिवर्तनों का वह प्रगतिशील क्रम निहित है, जो परिपक्वता के लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है।
विकास में शारीरिक परिवर्तनों के साथ-साथ मानसिक परिवर्तन भी होते हैं।
विकास एक सतत् एवं क्रमिक प्रक्रिया है, इसमें प्रत्येक अवस्था स्वयं की पूर्व अवस्था से किसी न किसी माध्यम से जुड़ी रहती है।
विभिन्न अवस्थाओं में विकास की दर भिन्न होती है। बालक के जन्म के समय यह दर अपने उच्चतम स्तर पर होती है तथा प्रौढ़ावस्था में आकर मंद हो जाती है।
मानव विकास के इतिहास में ज्ञान-विज्ञान की अनेक नई शाखाओं का विकास हुआ है।
विकास का अध्ययन मानव व्यवहार की पूर्णता को जानने के लिए होने लगा है। यों इसका महत्व और भी बढ़ गया।
विकास एक प्रगतिशील श्रृंखला होती है।
विकास के फलस्वरूप व्यक्ति में नवीन विशेषताएँ एवं योग्यताएँ प्रकट होती हैं।
विकास अभिवृद्धि तक सीमित नहीं है, अपितु इसमें परिवर्तनों का वह प्रगतिशील क्रम निहित है, जो परिपक्वता के लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है।
विकास का अर्थ परिपक्वता से सम्बन्धित परिवर्तनों से है जो मानव के जीवन में समय के साथ घटित होते रहते हैं।
मानव विकास स्वस्थ भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों को सम्मिलित करते हुए लोगों के विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।
मानव विकास स्वस्थ भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक स्वतंत्रता तक सभी प्रकार के मानव विकल्पों में विस्तार और उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं तथा सशक्तीकरण के अवसरों में वृद्धि की प्रक्रिया है।
मानव विकास लोगों की विकल्प बढ़ाने, मानवीय क्षमताओं के विस्तार, बुनियादी जरूरतों को पूरा करने, और मानव स्वतंत्रता को बढ़ाने की प्रक्रिया है।
भौतिक पर्यावरण से लेकर आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सहित स्वस्थ वातावरण में मानव विकास होता है।
मानव विकास को मानव विकास सूचकांक द्वारा मापा जाता है।
मानव विकास का अर्थ परिपक्वता और कार्यपरक सुधार की व्यवस्था से है जिसका सम्बन्ध गुणात्मक एवं परिमाणात्मक परिवर्तनों से है।
मानव विकास अभिवृद्धि तक सीमित नहीं है।
|