बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
बेन्जामिल श्लॉस का कहना है कि - "वृद्धावस्था भी एक बीमारी की तरह है। यह एक ऐसी बीमारी है जो प्रत्येक व्यक्ति को अनिवार्य रूप से लगती है तथा बहुत कम व्यक्ति ऐसे हैं जो इस बीमारी के दुष्प्रभावों से बचे रहते हैं।
सन् 1951 की जनगणना के समय भारत 60 वर्ष से अधिक के लोगों की संख्या 10 प्रतिशत से भी कम थी।
आज स्नातक स्तर तक के शिक्षित लोगों की औसत जीवन अवधि 69 वर्ष है।
शिक्षक के रूप में कार्य कर चुके लोगों की औसत जीवन अवधि 71 वर्ष है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी भूमि पर खेती करने वाले किसान औसतन रूप से 65 वर्ष तक जीवित रहते हैं।
सन् 2001 की जनगणना में लगभग 8 करोड़ व्यक्ति ऐसे पाए गए जिनकी आयु 60 से 80 वर्ष के बीच है।
भारत में 60 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों की संख्या सन् 2013 में 10 करोड़ और 2030 में बढ़कर 19.8 करोड़ तक पहुँच जाएगी।
इनमें महिलाओं का प्रतिशत 51 व पुरुषों का प्रतिशत 49 होगा।
संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा भी समाज में वृद्धजनों की उपयोगिता तथा उनकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1999 को 'वृद्ध लोगों के अन्तर्राष्ट्रीय वर्ष के रूप में घोषित किया गया।
कोगन तथ वालस के अनुसार - वृद्ध लोगों में मनोवैज्ञानिक असुरक्षा का सबसे स्पष्ट रूप मृत्यु डर के रूप में देखने को मिलता है। कम से कम भारतीय समाज के सन्दर्भ में ऐसा निष्कर्ष सही नहीं लगता।
सरत सिंह सन्धु का कथन है कि भारत में वृद्ध लोगों की सबसे बड़ी चिन्ता अधिक समय तक जीवित रहने का डर है। व्यावहारिक अनुभवों से भी यही सिद्ध होता है कि अत्यधिक अभाव, बीमारी और तनावों के कारण वृद्ध लोग अधिक समय तक जीवित रहना नहीं चाहते।
मनोवैज्ञानिक असुरक्षा का एक दूसरा रूप वह है जो अमानवीय अपराधों का परिणाम है। वृद्धजनों की समस्याओं का समाधान करने के लिए सबसे पहले सन् 1948 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने वृद्धावस्था अधिकार पर एक घोषणा पत्र तैयार किया गया।
इसी घोषणा पत्र के आधार पर सन् 1982 में वृद्धजनों के लिए वियना में होने वाले अधिवेशन में एक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यक्रम तैयार किया गया।
इस कार्यक्रम में इस बात पर बल दिया गया कि वृद्धजनों को आर्थिक सहायता देने के साथ ही उन्हें सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध करायी जाय, विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वृद्धजनों के रोगों से सम्बन्धित चिकित्सकीय सुविधाएं दी जाएं।
भारत में सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा नवम्बर 1992 में वृद्ध लोगों को सहायता देने का एक कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुसार तैयार किया गया।
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