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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2747
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

मैगार्थी का कथन है कि "कोई भी ऐसा कार्य जो जानबूझकर, धमकाकर या बलपूर्वक किया गया हो जिसके लिए व्यक्ति को आघात पहुँचा हो अथवा उसके सम्मान को ठेस लगी हो उसे हम हिंसा कहते हैं।

स्टॉस का कथन है कि "किसी को नुकसान पहुँचाने या चोट पहुंचाने की दृष्टि से उस पर जानबूझकर किया गया आघात हिंसा है चाहे उससे वास्तव में चोट न पहुँचायी गयी हो।"

अमेरिका में स्त्री के प्रति अपराध दण्डनीय अपराध है। घरेलू हिंसा का कोई एक कारण नहीं है।

डॉ. वेनूगोपाल जज महोदय के अनुसार अनेक कामकाजी स्त्रियों का अपनी आय पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं है। प्रतिमाह जितना वेतन उन्हें मिलता है वह पति द्वारा धमकाकर या अन्य किसी दबाव से उनसे ले लिया जाता है।

उन्हें घर का सारा काम करने के साथ-साथ व्यवसाय के दायित्वों को भी पूरा करना होता है।

भारत में घरेलू हिंसा रोकने हेतु अनेक नियम बनाए गए हैं तथा विभिन्न महिला संगठन भी इस मामले में अपनी आवाज उठाते रहते हैं।

घरेलू हिंसा में दहेज हत्याएँ, पत्नी के साथ भावात्मक एवं लैंगिक दुर्व्यवहार, पत्नी को पीटना, यौन शोषण, बुजुर्ग स्त्रियों पर अत्याचार, भ्रूण हत्याएँ आदि हैं।

दहेज हत्याएँ भारतीय समाज में स्त्री के लिए विवाह में दहेज अनिवार्य है इसलिए दहेज की समस्या विकराल होती जा रही है। कठोर कानून के बावजूद घटनाएँ हो रही हैं।

राम आहूजा का कहना है कि 70% दहेज हत्याओं की शिकार स्त्रियाँ 21 से 24 वर्ष की आयु की होती है। मध्यम वर्ग की स्त्रियों में दहेज हत्याएँ निम्न तथा उच्च वर्ग की स्त्रियों की तुलना में अधिक होती है।

भावात्मक एवं लैंगिक दुर्व्यवहार न्यायमूर्ति डॉ० पी० वेनूगोपाल ने भावात्मक एवं लैंगिक दुर्व्यवहार को घरेलू हिंसा का प्रमुख कारण माना है।

विधवाओं पर अत्याचार स्त्री के लिए वैधव्य बहुत ही भयंकर शब्द है। सुहागन होना उसके लिए सौभाग्य की बात है। विधवा से संयमित व्यवहार की आशा की जाती है।

इस अधिनियम के प्रयोजनार्थ घरेलू हिंसा शब्द का व्यापक अर्थ लिया गया है। इसमें प्रत्यर्थी का कोई भी ऐसा कार्य लोप का आचरण घरेलू हिंसा कहलाएगा, यदि वह व्यथित व्यक्ति के स्वास्थ्य की सुरक्षा, जीवन, उसके शारीरिक अंगों या उसके कल्याण को नुकसान पहुंचाता है।

इसमें व्यक्ति का शारीरिक दुरूपयोग, शाब्दिक या भावनात्मक के दुरूपयोग और आर्थिक दुरूपयोग शामिल है - (धारा 3-क)।

राज्य सरकार द्वारा घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम, 2005 के अन्तर्गत सभी उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारियों एवं समस्त प्रणेताओं में कुल 574 अधिकारियों को संरक्षण अधिकारी नियुक्त किया गया है।

राज्यों में अभी तक 87 गैर-शासकीय संस्थाओं को सेवा प्रदाता के रूप में पंजीकृत किया गया है। तथा 13 संस्थाओं को आश्रयगृह के रूप में अधिसूचित किया गया है।

महिलाओं को घरेलू हिंसा से संरक्षण दिए जाने और उन्हें राहत व आपातकाल में संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा घरेलू हिंसा में महिलाओं का सरंक्षण अधिनियम, 2005 लागू किया गया। यह पूरे देश में 26.10.2006 से प्रभावी किया गया है।

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