बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 16
घरेलू हिंसा
(Domestic Violence)
भारतीय समाज में अनेक प्रकार की समस्याएँ पायी जाती हैं जिनका समाधान करने के लिए परिवार का प्रत्येक सदस्य प्रयत्नशील रहता है। किन्तु कभी कभी पारिवारिक समस्याएँ इतना विकराल रूप धारण कर लेती हैं कि परिवार के सदस्यों द्वारा उनका समाधान कर पाना असम्भव हो जाता है इस स्थिति में परिवार के सदस्य हिंसा का सहारा लेते हुए हिंसात्मक रूप धारण कर लेते हैं। सामान्यतः जब-जब परिवार के किसी सदस्य द्वारा हिंसा की जाती है तो उसे पारिवारिक या घरेलू हिंसा कहते हैं, लेकिन आज घरेलू हिंसा का आशय मुख्य रूप से महिलाओं के प्रति हिंसा से या परिवार की महिला द्वारा की जाने वाली हिंसा को पारिवारिक हिंसा के रूप में जाना जाता है। आम समाज में महिला अपराधों में निरंतर वृद्धि हो रही है जिसके कारण पारिवारिक हिंसा में भी निरंतर वृद्धि हो रही है। आज के दैनिक समाचार पत्रों में प्रतिदिन कोई न कोई महिला अपराध की जानकारी मिलती है। सास-बहू के झगड़े और पति-पत्नी के झगड़े तो आज के समय में सामान्य बात बन गयी है। इस प्रकार अनेक ऐसी बाते हैं जो कि घरेलू हिंसा को जन्म देती हैं। वर्तमान समय की लड़कियाँ शादी होने के पश्चात् जब दूसरे परिवार में जाती हैं तो उन्हें बदला हुआ वातावरण मिलता है जिसमें अपने आप को जल्दी ढाल नहीं पाती है, जिसके कारण आपसी विवाद होने लगता है और ये विवाद बढ़ते-बढ़ते हिंसात्मक रूप धारण कर लेता है। वर्तमान समय में इस समस्या के समाधान हेतु अनेकों प्रयत्न किए जा रहे हैं। इस समस्या पर व्यापक विचार विमर्श एवं विभिन्न संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। इस सम्बन्ध में अनेकों कानून का निर्माण भी किया गया है।
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