बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
इलिएट और मैरिल ने अपराध को समझाते हुए लिखा है कि - आधुनिक सभ्य समाज में अपराध कानून द्वारा निषिद्ध वह कार्य है जिसके लिए मृत्यु, जुर्माना, या जेल, वर्क हाउस व सुधार ग्रह में कैद का दण्ड दिया जा सकता है।"
मॉवरर "अपराध को सामाजिक मानदण्डों का उल्लंघन मानते हैं।"
इलियट तथा मैरिल ने सामाजिक दृष्टि से अपराध की व्याख्या करते हुए लिखा है - "अपराध समाज विरोधी व्यवहार के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसे समूह अस्वीकार करता है। और उसके लिए दण्ड निर्धारित करता है।"
टप्पन के अनुसार - "अपराध कानून संहिता के उल्लंघन में जानबूझकर किया गया व्यवहार जो बिना किसी प्रतिरक्षा या औचित्य के किया गया है। जो राज्य द्वारा दण्डनीय है।"
भावट के अनुसार - अपराध कोई भी वह क्रिया है जिसके द्वारा कानून के उल्लंघन होता है।
हैकरवाल के अनुसार - "सामाजिक दृष्टि से अपराध का अर्थ व्यक्ति के ऐसे व्यवहार से है जो मानवीय सम्बन्धों की उस व्यवस्था में बाधा डालता है जिसे समाज अपने अस्तित्व के लिए आवश्यक समझता है।"
सेठना के अनुसार- "अपराध की परिभाषा एक कार्य अथवा गलती, पापमय या गैर-पापमय के रूप में दी जा सकती हैं जो स्मबन्धित देश के विशिष्ट समय पर लागू कानून के अन्तर्गत दण्ड के योग्य है।"
शास्त्रीय सम्प्रदाय का विकास 19वीं सदी में इंग्लैण्ड में हुआ। इसके प्रतिपादों में बेन्थम और बेकेरिया प्रमुख माने जाते हैं। इस सिद्धान्त का आधार सुखवादी मनोविज्ञान है जिसके अनुसार व्यक्ति का व्यवहार सुख तथा दुःख से परिचालित और नियंत्रित होता है
अपराध का दूसरा सम्प्रदाय भौगोलिक सम्प्रदाय है। इसे आजकल इकोलॉजिकल सम्प्रदाय कहा जाता है। इस सम्प्रदाय के अनेक समर्थकों में केटलेट व ग्वैरी प्रमुख हैं। केटलेट यह मानते थे कि व्यक्ति के प्रति हिंसात्मक अपराध गर्म देशों में तथा सम्पत्ति विषयक अपराध ठण्डे प्रदेशों में अधिक होते हैं।
एल्बर्ट कोहेन, ए0आर0 लिण्डस्मिथ, के0एफ0 शुसलर के अपराध सम्बन्धी सब कल्चर के सिद्धान्त में श्रमिकों के पुरुष वर्ग के अपराध की व्याख्या की गई है।
किलनार्ड "अपराध को सामाजिक नियमों से विचलन मानते हैं।"
काल्डवेल के अनुसार - "अपराध किसी निश्चित स्थान व समय पर संगठित समाज-सम्मत मूल्यों के संग्रह का उल्लंघन हैं।"
इलियट एवं मेरिल के वर्गीकरण के अनुसार अपराध दो प्रकार के होते हैं-
(1) कम गम्भीर अपराध
(2) गम्भीर अपराध
हेज का वर्गीकरण - हेज तीन प्रकार के अपराध को मानते हैं-
(i) व्यवस्था के विरुद्ध अपराध
(ii) सम्पत्ति के विरुद्ध अपराध
(iii) व्यक्ति विरुद्ध अपराध
आयु भी व्यक्ति को अपराध बनाने में महत्त्वपूर्ण कारक कही जा सकती है। प्रायः युवावस्था में अपराध किए जाते हैं मेरिल के अनुसार, अपराधी युवा अधिक होते हैं।
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