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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2747
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

वेब्सटर शब्दकोश के अनुसार - "दहेज वह धन, वस्तु अथवा सम्पत्ति है जो एक स्त्री विवाह के समय पति के लिए लाती है"

दहेज निरोधक अधिनियम, 1981 के अनुसार, "दहेज का अर्थ कोई ऐसी सम्पत्ति या मूल्यवान निधि से है जिसे विवाह की एक शर्त के रूप में विवाह से पहले, विवाह के समय या बाद में एक पक्ष को दूसरे पक्ष के लिए देना आवश्यक होता है। इसे वर मूल्य भी कहते हैं।

अनुलोम विवाह के चलन से उच्च कुलों के लड़कों की माँग बढ़ती गई। उच्च कुलों के लड़कों के पिता ऐसी स्थिति में बड़ी धनराशि की मांग करते हैं।

अन्तर्विवाह के नियम के कारण किसी भी कन्या का विवाह उसी की जाति अथवा उपजाति के पुरुष के साथ होना आवश्यक हो गया जिस कारण विवाह का क्षेत्र सीमित हो गया। योग्य वरों की कम संख्या ने दहेज को बढ़ावा दिया।

संयुक्त परिवारों में स्त्रियों का शोषण होता था। स्मृतिकाल तक स्त्रियों की स्थिति अत्यधिकं दयनीय थी। संयुक्त परिवारों में नववधुओं को प्रताड़ित किया जाता था ऐसी स्थिति में माता-पिता ने लड़की को दहेज देना शुरू किया ताकि उन्हें प्रतिष्ठा मिले।

कन्या विवाह को अनिवार्य माना गया है। इसलिए उनका विवाह करना जरूरी था धीरे-धीरे योग्य वरों की तलाश धन कोखर्च कियाजाने लगा।

धन के महत्व में वृद्धि वर्तमान समय में भौतिकवादी विचारधारा के कारण धन का महत्व बढ़ गया। इससे दहेज प्रथा और भी सशक्त हो गई।

महँगी शिक्षा प्रणाली - माता-पिता अपने बच्चों पर काफी पैसा खर्च करते हैं। फिर माता-पिता विवाह द्वारा इसकी क्षतिपूर्ति का प्रयास करते हैं फलस्वरूप यह दहेज प्रथा में तब्दील हो जाता है। राम अहूजा ने निष्कर्ष निकाला कि 70% दहेज हत्याओं की शिकार 21 से 24 वर्ष की आयु की होती है।

मध्यम वर्ग की स्त्रियों में दहेज हत्याएं निम्न तथा उच्च वर्ग की स्त्रियों की तुलना में कहीं अधिक होती है।

न्यायमूर्ति डॉo पीo वेणूगोपाल ने भावात्मक तथा लैंगिक दुर्व्यवहार को घरेलू हिंसा का प्रमुख कारण बताया है। पति अन्य लोगों की उपस्थिति में पत्नी का अपमान करता है। पत्नी की इच्छा के विरुद्ध उससे सम्बन्ध स्थापित करता है जो भावनात्मक एवं लैंगिक दुर्व्यवहार के अन्तर्गत आता है।

राम आहूजा का कहना है कि 25 वर्ष से कम आयु की पत्नियाँ पति द्वारा मार-पिटाई का अधिक शिकार होती हैं।

फेयर चाइल्ड के अनुसार - "दहेज वह धन या सम्पत्ति है जो विवाह के अवसर पर लड़की के माता-पिता या अन्य निकट सम्बन्धियों द्वारा दी जाती है।"

दहेज निरोधक अधिनियम को 22 मई 1961 को राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त हुई।

यह विधेयक कानून के रूप में 1 जुलाई सन् 1961 में लागू हो गया। यह अधिनियम दहेज निरोधक अधिनियम 1961 के नाम से जाना जाता है।

इस अधिनियम में 10 धाराएँ हैं।

धारा 3 के अन्तर्गत यदि कोई व्यक्ति दहेज का लेन-देन करता है या इस कार्य में मदद करता है तो उसे छः मास का कारावास या 5000 रु० जुर्माना हो सकता है।

धारा 4 के अन्तर्गत यदि वर या कन्या के माता-पिता या संरक्षक से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में कोई दहेज की मांग करता है तो उसे भी उपर्युक्त दण्ड से दण्डित किया जा सकता है।

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