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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2747
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

ऑगबर्न ने धर्म की परिभाषा निम्न प्रकार दी है- "धर्म अमानवीय शक्तियों के प्रति आपकी मनोवृत्ति है।"

टेलर के अनुसार - "धर्म आध्यात्मिक शक्तियों में विश्वास का नाम है जो दैवीय या राक्षसी दोनों प्रकार की होती है।"

जॉनसन के अनुसार - "अलौकिक शक्ति में विश्वास ही धर्म है।"

वेदों, उपनिषदों, गीता और स्मृतियों में धर्म का सारांश यही है, "धर्म जीवन की सम्पूर्णता प्रदान करने की एक विधि है।"

मैक्समूलर के अनुसार - "धर्म असीम का साक्षात दर्शन है।"

ऐतरेय ब्राह्मण में धर्म का तात्पर्य 'धार्मिक कर्तव्यों के सर्वांग स्वरूप यानि जप, तप, व्रत, हवन, यज्ञ आदि से है।

ऋग्वेद में धर्म की व्याख्या एक ऐसे तत्व के लिए किया गया है जो "ऊँचा उठाने वाली' (उन्नायक ) या पालन-पोषण करने वाला सम्पोषक है। साथ ही 'धार्मिक क्रियाओं के नियम' के अर्थ में हुआ है।

छान्दोग्य उपनिषद में धर्म का अभिप्राय विभिन्न वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र ) के कर्त्तव्यों से है।

तैत्तरीय उपनिषद् में धर्म का अर्थ जीवन के विभिन्न आश्रमों (ब्रह्मचारी, गृहस्थी, वानप्रस्थी और संन्यासी) के कर्त्तव्यों का पालन करने से है।

धर्म के लक्षण हैं - आध्यात्मिक शक्ति में विश्वास, कर्मकाण्ड, प्रतीक और पौराणिक गाथाएं।

हिन्दू धर्म में मूर्ति एक प्रतीक है।

थियोडोरसन एवं थियोडोरसन ने कहा कि - "नृजातीय समूहों को प्रजातीय समूह समझने की भूल नहीं करनी चाहिए।"

राष्ट्रीय एकता एवं सामञ्जस्य हेतु नृजातियों के सामञ्जस्य की अत्यन्त आवश्यकता है। 

नृजाति ए सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक तथा भाषा सम्बन्धी समूह होता है।

सन् 1991 की जनगणना के अनुसार समस्त भारत में 6 करोड़ 70 लाख से अधिक जनजातीय लोग निवास करते हैं।

पूर्वी क्षेत्र की नृजातियों में आन्दोलन - पूर्वी क्षेत्र में कूकी, मिजो, नागा, 'कचरी, गारो आदि नृजातियाँ आती हैं। इनमें राजनैतिक व सांस्कृतिक जागरूकता अधिक है। इस नृजाति के लोगों ने स्थानीय शासकों के खिलाफ राजनैतिक आन्दोलन किए हैं।

छोटा नागपुर की नृजातियों में आन्दोलन राजनैतिक, सामाजिक तथा धार्मिक हैं। जैसे - बिरसा मुण्डा आन्दोलन, वीरसिंह आन्दोलन, तथा भगत आन्दोलन आदि।

गुजरात, मध्यप्रदेश व राजस्थान में भील जनजाति ने अनेक बार हिन्दूकरण हेतु आन्दोलन किए। 1933 में भीलों ने पृथक राज्य हेतु आन्दोलन चलाया।

क्षेत्रीय भिन्नता सांस्कृतिक भिन्नता से सम्बन्धित होती है। सांस्कृतिक धरोहर में अन्तर होने से क्षेत्रीय असामंजस्यता बढ़ती है।

क्षेत्रीय संगठन क्षेत्रीय असामंजस्यता को पनपने में मददगार साबित होते हैं।

केन्द्र सरकार को क्षेत्रीय विवादों जैसे पानी का बँटवारा, विकास कार्यक्रमों आदि पर शीघ्र निर्णायक भूमिका अदा करनी चाहिए तथा राज्य सरकारों पर नियन्त्रण रखना चाहिए।

हमारे देश में सामाजिक व सांस्कृतिक अन्तर पाए जाने के कारण क्षेत्रीय असामञ्जस्यता का उदय होता है।

हमारे देश में स्वच्छ छवि वाली राजनीति नहीं होती। यहाँ के राजनेता अपने स्वार्थों के लिए क्षेत्रवाद को भड़काते हैं तथा व्यर्थ के आन्दोलन चलाकर क्षेत्रीय असंतुलन व असामंजस्यता का उदय होता है।

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