बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 11
धार्मिक, नृजाति विषयक तथा क्षेत्रीय समस्यायें
(Religious, Ethnic and Regional Problems)
धर्म मानव समाज का एक ऐसा शाश्वत व्यापक और स्थायी तत्व है, जिसे समझे बिना हम समाज के रूप को समझने में असफल रहेंगे। धर्म का मानव समाज से गहरा सम्बन्ध है। किंग्सले डेविस ने अपनी पुस्तक 'ह्यूमन सोसाइटी में धर्म की उपर्युक्त परिभाषा को लिखा है। प्रत्येक समाज में धर्म का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। मानवीय व्यवहार तथा आचरण इससे प्रभावित रहता है। संपूर्ण विश्व की संचालक शक्ति के अस्तित्व का एक दृढ़ विश्वास ही धर्म को जन्म देता है। एडवर्ड टायलर ने कहा है - "धर्म आध्यात्मिक तथा आसुरी शक्तियों में विश्वास करना है।" धर्म का सम्बन्ध मानव की श्रद्धा, भावनाओं एवं भक्ति के साथ जुड़ा हुआ है। जॉनसन के अनुसार 'अलौकिक शक्ति में विश्वास ही धर्म है। धर्म का आधार भावना, आचार- शास्त्र एवं नैतिकता है जिसमें तर्क एवं वितर्क का कोई स्थान नहीं होता। मैक्समूलर का कहना है कि "धर्म असीम का साक्षात् दर्शन है।"
'नृजाति का आशय उन व्यक्तियों से है जिन्हें प्रजाति, भाषा एवं संस्कृति के अनुसार अलग- अलग किया जा सकता है। राष्ट्रीय एकता व सामंजस्य हेतु नृजातियों के सामञ्जस्य की अत्यन्त आवश्यकता है। इनमें असामंजस्य की स्थिति से सांस्कृतिक, प्रजातीय, भाषाई, सामाजिक, आर्थिक समस्याएं पैदा होती हैं। थियोडोरसन एवं थियोडोरसन ने नृजातीय समूह की परिभाषा देते हुए इसकी निम्न व्याख्या दी है।" नृजातीय समूह सामान्य सांस्कृतिक परंपरा और अलग पहचान की भावना रखने वाला एक समूह होता है जो वृहद, समाज में उप समूह के रूप में विद्यमान होता है। नृजातीय समूह के सदस्यों की अपने समूह के अन्य सदस्यों से कुछ विशिष्ट प्रथाएं भी होती हैं। सम्भवतः सबसे महत्वपूर्ण उनकी परम्परागत विशिष्ट समूह की पहचान की भावना है। सामान्यतया इस अवधारणा का प्रयोग अल्प समूहों के लिए किया जाता है।
निर्धारित क्षेत्र में रहने वाले समाज की विभिन्न बस्तियों में विद्यमान असामंजस्यता को क्षेत्रीय असामंजस्यता कहा जाता है। भारत के क्षेत्रीय असामंजस्यता का अध्ययन व विश्लेषण राष्ट्रीय एकता, एकीकरण एवं सामञ्जस्य हेतु आवश्यक है। देश की क्षेत्रीय असामञ्जस्यता का अध्ययन करने हेतु भौगोलिक दशा व प्राकृतिक संसाधनों का अध्ययन करना भी आवश्यक है।
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