बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
स्ट्रेचर्स एवं 'चेम्बर के अनुसार - "मद्यमान की व्याख्या करना उतना ही अर्थहीन और अस्पष्ट है जितना कि सन आयु तन्त्र के टूटने की बीमारी है।"
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार - "मद्यमान नशे की वह दशा है जो किसी मादक पदार्थ के निरन्तर सेवन से पैदा होती है, जो कुछ देर तक या सदैव ही व्यक्ति को इस तरह नशे में चूर रखती है जो समाज और व्यक्ति दोनों के लिए हानिकारक होती है।"
मद्यमान के आर्थिक कारण - गरीबी किसी भी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है। एक गरीब परिवार में परिवार के मुखिया के अतिरिक्त उनके बच्चे भी मद्यपान के शिकार हो जाते हैं। मद्यमान के मनोवैज्ञानिक कारण हैं। कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जिन्हें हमेशा मानसिक तनाव एवं चिन्ता रहती है और वे इस तनाव व चिंता से छुटकारा पाने के लिए मद्यपान आदि का सहारा ले लेते हैं।
दूषित पर्यावरण भी मद्यपान के कारण हैं। कुछ गली व मोहल्ले ऐसे होते हैं जहाँ पर कुछ व्यक्ति शराब या अन्य प्रकार के नशे करते हैं अब यह कहावत है कि संगति का असर पड़ता है तो उनके साथ-साथ कुछ और अन्य व्यक्ति भी मद्यमान का सहारा लेने लगते हैं।
शराब एक उत्तेजित और पौष्टिक पदार्थ माना जाता है। इसका प्रयोग अनेक प्रकार की बीमारियों से छुटाकारा पाने के लिए किया जाता है। जैसे - प्रमेह, मलेरिया, सर्दी-जुकाम एवं खाँसी आदि। अतः ग्रामीण लोग शराब का प्रयोग दवा के रूप में करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में शिशुओं को शराब दवा के रूप में दी जाती है, जिससे कि उन्हें नींद आ जाए।
डॉ० बोंगर के अनुसार - "व्यक्ति शराब का प्रयोग आपत्तियों तथा चिन्ताओं से छुटकारा पाने के लिए शराब का प्रयोग करता है। इसलिए शराब को 'संकट का पेय' कहा जाता है।"
आधुनिक युग में शराब का प्रयोग फैशन बनता जा रहा है। कुछ लोग शराब का प्रयोग उत्सवों (जैसे शादी, तिलक, वर्षगाँठ एवं मुण्डन आदि) के अवसर पर या मेहमानों पर मित्रों का साथ देने के लिए शराब का प्रयोग करते हैं। आजकल तो युवतियाँ भी शराब का प्रयोग करने लगी हैं।
नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय समझौता होना चाहिए जिससे सभी देश अपने-अपने क्षेत्र में इस अमानवीय और होना चाहिए, जिससे सभी देश अपने-अपने क्षेत्र में इस अमानवीय और घृणित व्यवसाय पर नियन्त्रण रख सकें।
सरकार द्वारा एक व्यापक सर्वेक्षण आयोजित करके नशीली दवाओं से प्रभावित व्यक्तियों से सम्बन्धित विभिन्न प्रकार के आँकड़े तैयार करने चाहिए।
होटलों, जलपानगृहों तथा नाचघरों को शराब के विक्रय के लाइसेन्स पर प्रतिबन्ध लगाना आवश्यक है।
मादक द्रव्यों के प्रयोग को कम करने के लिए स्वास्थ्यवर्धक पेय पदार्थों का उत्पादन बढ़ाया जाना चाहिए।
देश में ऐसा प्रभावकारी कानून बनाया जाना चाहिए जिसके द्वारा मादक पदार्थों को चोरी-छिपे बेचने वाले लोगों को कठोर दण्ड दिया जा सके।
देश में नशा-निषेध नीति लागू की जानी चाहिए।
मादक पदार्थ व्यसन व्यक्ति तथा समाज पर हानिकारक प्रभाव डालता है।
कंठोर श्रम करने वाले व्यक्ति भी मादक द्रव्यों का सेवन करते हैं। उनका मानना है कि इसके सेवन से थकान कम होती है और आराम से नींद आती है।
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