बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 6
मादक द्रव्य व्यसन
(Drug Addiction)
सामान्य अर्थों में मद्यमान का अर्थ उन सभी ऐसी वस्तुओं से लगाया जाता है जो नशा करने के प्रयोग में लाई जाती हैं, जैसे - शराब, भाँग, सिगरेट, बीड़ी, तम्बाकू, गाँजा, अफीम आदि। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जो वस्तु नशे के लिए कोई व्यक्ति प्रयोग करे उन वस्तुओं का प्रयोग मद्यमान करना कहलाता है। "चिकित्सा की भाषा में मैं सोचता हूँ, नशा एक बीमारी है जो एकाकीपन से उत्पन्न होती है। यह शरीर को संचालित करती है किन्तु स्वास्थ्य सम्बन्धी शारीरिक कार्य को अव्यवस्थित करती है। यह कथन थामसटाटर का है।
मादक द्रव्य व्यसन वह स्थिति है जिसमें शरीर को कार्य करते रहने के लिए मादक पदार्थों के प्रयोग की आवश्यकता महसूस होती है। यदि कोई व्यक्ति मादक पदार्थों का आदी है और वह इन पदार्थों का सेवन बन्द कर देता है, तो उसके शरीर में अनेकों प्रकार की बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं, जैसे- शारीरिक दर्द, बेचैनी एवं रुग्णता आदि। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि जो व्यक्ति मादक पदार्थों का सेवन करता है उसका शरीर मादक पदार्थों पर निर्भर हो जाता है। अर्थात् शरीर मादक पदार्थों के निरन्तर प्रयोग से शरीर उन पदार्थों की उपस्थिति से अपना सामञ्जस्य कर लेता है और जब उसे इन पदार्थों का सेवन करने को नहीं मिलता है तो उसके शरीर में दर्द, जुकाम, खाँसी एवं जलन आदि अनेकों प्रकार की बीमारियाँ उत्पन्न होने लगती हैं। मादक पदार्थों के प्रभावों पर मानसिक एवं शारीरिक निर्भरता पैदा होती है। इसमें मादक पदार्थ ग्रहण करने की शरीर द्वारा तीव्र इच्छा या आवश्यकता व्यक्त की जाती है जिसे वह हर सम्भव साधन द्वारा प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। यह व्यक्ति एवं समाज पर हानिकारक प्रभाव डालता है। इसमें खुराक की मात्रा में उत्तरोत्तर वृद्धि की प्रवृत्ति होती है।
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