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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2747
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

 

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

 

इलिएट और मैरिल का कथन है कि "प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से व्यक्तिगत लाभ के लिए अपने निर्धारित कर्त्तव्य की जानबूझकर उपेक्षा करना ही भ्रष्टाचार है।"

 

भारतीय दण्ड विधान (धारा 161) में भ्रष्टाचार के अर्थ को स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि "कोई भी सार्वजनिक कर्मचारी वैध पारिश्रमिक के अतिरिक्त अपने या किसी दूसरे व्यक्ति के लिए जब कोई आर्थिक लाभ इसलिए लेता है कि सरकारी निर्णय पक्षपातपूर्ण रूप से किया जाए तो यह भ्रष्टाचार है तथा इससे सम्बन्धित जनहित भ्रष्टाचारी है।"

 

भ्रष्टाचार निरोधक समिति 1964 के शब्दों में, "व्यापक अर्थ में एक सार्वजनिक पद या जनजीवन में प्राप्त एक विशेष प्रास्थिति से सम्बन्धित शक्ति अथवा प्रभाव का अनुचित या स्वार्थपूर्ण उपयोग ही भ्रष्टाचार है।"

 

राबर्ट सी० ब्रुक्स के अनुसार - "कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष वैयक्तिक लाभ प्राप्त करने के लिए जान-बूझकर प्रदत्त कर्त्तव्य का पालन न करना ही राजनैतिक भ्रष्टाचार है। भ्रष्टाचार सदैव कभी किसी स्पष्ट या अस्पष्ट लाभ के लिए कानून तथा समाज के विरोध में किया जाने वाला कार्य हैं।"

भ्रष्टाचार में निजी स्वार्थ की पूर्ति हेतु लघुमार्ग अपनाया जाता है।
भ्रष्टाचार में नकद या वस्तु के रूप में घूस दी जाती है।
भ्रष्टाचार में पैसा, उद्देश्य और साधन दोनों ही हैं।

भ्रष्टाचार में कर्त्तव्यों का उल्लंघन चेतन रूप से अर्थात् जान-बूझकर किया जाता है भ्रष्टाचार के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं - राजनीतिक संरचना में परिवर्तन - इसमें पुलिस, प्रशासन, राजनीतिज्ञ, राजपत्रित अधिकारी, तथा सफेदपोश अपराधी प्रमुख हैं।

 

दलगत राजनीति भी भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन देती है।

 

गरीबी और बेकारी भी भ्रष्टाचार के लिए उत्तरदायी कारण है। कहावत है कि "विक्षुक्षितम् किम् न करोति पापम्" अर्थात् भूखा व्यक्ति कौन सा पाप नहीं कर सकता है। गरीबी के कारण व्यक्ति भ्रष्टाचार आचरण करता है।

 

व्यापार तथा राजनीतिक का घनिष्ठ सम्बन्ध भी भ्रष्टाचार का एक प्रमुख कारण है। पिछले दशकों में "बोफोर्स घोटाला" तथा "प्रतिभूति घोटाला" इस तथ्य के प्रमुख उदाहरण है।

 

राजनीतिक भ्रष्टाचार हेतु अंग्रेजी शब्द 'ग्राफ्ट' का प्रयोग किया जाता है। रोनाल्ड सेगेल के अनुसार, "भ्रष्टाचार भी त्याग की ही भाँति ऊपर से प्रारम्भ होता है तथा नीचे की ओर प्रसारित होकर सम्पूर्ण समाज को अपने ढंग से रंग लेता है।"

 

गुन्नार मिर्डल के अनुसार- "भ्रष्टाचार के परिणामतः देश में "लाल फीताशाही की वृद्धि" होती है तथा लोगों में अनुत्तरदायित्व से भागने की प्रवृत्ति बढ़ती है। लोग आलसी तथा सक्षम हो जाते हैं तथा विकास कार्य अवरुद्ध हो जाता है।"

 

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