बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 समाजशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
श्वेतवसन अपराध की प्रकृति मुख्यतः आर्थिक व नैतिक होती है।
क्लीनार्ड के अनुसार - श्वेतवसन अपराध जैसी व्यावसायिक प्रास्थिति वाले व्यक्तियों द्वारा अपने व्यवसाय के सम्बन्ध में किया जाता है।
श्वेतवसन अपराध समाज में उच्च सामाजिक आर्थिक पद प्राप्त व्यक्तियों द्वारा किये जाते हैं तथा इसमें अपराधी अपने लाभ के लिए अपराधी कानून को तोड़ते हैं।
श्वेतवसन अपराध
.की अवधारणा को विकसित करने का श्रेय अमेरिकी समाजशास्त्री एडविन एच सदरलैण्ड को जाता है। इन्होंने White Collar Crime के शीर्षक के अन्तर्गत इस अवधारणा का प्रकाशन किया।
सदरलैण्ड के अनुसार - यह उच्च सामाजिक आर्थिक वर्ग के व्यक्ति द्वारा अपने व्यावसायिक क्रिया-कलापों के दौरान किया गया अपराध कानून का उल्लंघन है।
सदरलैण्ड ने बताया श्वेतवसन अपराध मुख्यतः विश्वास का उल्लंघन है। विश्वास के उल्लंघन मुख्यतः दो श्रेणियों में पाए जाते हैं-
(1) मिथ्या निरूपण
(b) धोखेबाजी।
सदरलैण्ड ने श्वेतवसन अपराध का प्रमुख स्वरूप विभिन्न प्रकार की जाल साजियों को ही माना है। इसका प्रमुख कारण यह है कि उच्च वर्ग के लोग अपनी प्रतिष्ठा की आड़ में जालसाजी के द्वारा लाभ प्राप्त करने में शीघ्र ही सफल हो जाते हैं।
व्यापारी एवं पूँजीपति वर्ग अत्यधिक धन कमाने के लालच में अनेकों प्रकार के अपराध करते हैं। जैसे - झूठा विज्ञापन देना, नकली वस्तुएं बेचना, पेटेन्ट व ट्रेडमार्क तथा कॉपीराइट का उल्लंघन करना, गलत रिपोर्ट देना, श्रम-सम्बन्धी अनुचित कार्यवाही करना, आयकर की चोरी करना, पैसा छिपाने के लिए अपने आपको दिवालिया घोषित करना, कालाबाजारी, जमाखोरी एवं मिलावट आदि करना।
श्वेतवसन अपराध के निम्नलिखित दुष्परिणाम हैं, जैसे-आर्थिक असंतुलन, राजस्व की हानि, देशद्रोह, अनैतिकता को प्रोत्साहन, सामाजिक विघटन आदि।
श्वेतवसन अपराध (भारत में) की समस्याएं निम्नलिखित हैं जैसे व्यापार के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, चिकित्सा के क्षेत्र में, न्याय के क्षेत्र में, सरकारी क्षेत्र में, ठेके के क्षेत्र में इत्यादि। श्वेतवसन अपराध के मुख्य स्वरूप निम्नलिखित प्रकार के हैं। जैसे - जालसाजी, चोरबाजारी, एवं मुनाफाखोरी, तस्करी, रिश्वत, विश्वासघात तथा षड्यन्त्र आदि।
फ्रैंक हाटुंग के अनुसार- "श्वेतवसन अपराध व्यापार के सम्बन्धित कानून का वह उल्लंघन है जो एक कम्पनी, कारखाने, फर्म एवं उसके एजेन्टों द्वारा फर्म के लिए व्यापार चलाने हेतु किया जाता है।"
भारत में 2001 में गन्दी बस्तियों में रहने वाले लोगों की संख्या 40.3 मिलियन थी। इन बस्तियों में विभिन्न प्रकार के अपराध पनपते हैं।
जे० हाल के मतानुसार- "श्वेतवसन अपराध के कारण समाज को गहरी हानि होती है, अतः इसे सामाजिक एवं वैधानिक अपराध कहा जाना चाहिए।"
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