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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2746
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

हन्ना आरेंट जन्म 14 अक्टूबर 1906 को हुआ था।

हन्ना आरेंट जन्म जर्मनी में हुआ था।

इनके माता-पिता यहुदी थे।

इनकी एक प्रमुख कृति “द ह्यूमन कंडीसन" है।

इन्होंने "बुराई की भयावहता" एक प्रसिद्ध दार्शनिक वाक्यांश का निर्माण किया।

ये सन् 1941 में अमेरिका गयी थी तथा वहीं की नागरिकता ग्रहण कर ली थी।

इन्होंने मानव जीवन के लिये प्रमुख एक स्रोत का उल्लेख किया है।

इन्होंने 'दि आर्गिन ऑफ 'टोटलेर्नियम' नामक पुस्तक में "सर्वाधिकार वाद" का विरोध किया।

इन्होंने मानव प्रकृति के लिये 'सक्रिय जीवन को मौलिक माना है।

इन्होंने अपने एक निबन्ध 'ऑन पब्लिक हैपीनेस' के अन्तर्गत शक्ति के सार्वजनिक स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए अमेरिकी लोकतंत्र के अनुभव को बहुत सराहां है।

इनका विचार था केवल शक्ति ही वैध सत्ता का सृजन कर सकती है।

इनकी मृत्यु 4 दिसम्बर 1975 को हुई थी।

इनका एक निबन्ध ऑन पब्लिक हैपीनेस सन् 1970 में प्रकाशित हुआ था।

इन्होंने सर्वाधिकारवाद की उत्पत्ति पर विशेष रूप से प्रकाश डाला है।

इन्होंने सर्वाधिकारवाद के प्रमुख दो उदाहरण दिये हैं-

(1) नाजीवाद
(2) स्वालिनवाद

माइकल ओकशॉट का जन्म चेल्सफील्ड लंदन में हुआ था।

ये 1952 में लंदन स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स के अन्तर्गत राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर पद पर नियुक्त हुये थे।

इन्होंने अनुभववाद और तर्कबुद्धिवाद पर प्रहार करके रूढ़िवाद की नई व्याख्या प्रस्तुत की है।

इन्होंने समकालीन समाज की समस्याओं और संकट का समीप विवरण देते हुए रूढ़िवाद को अपनाने का नया आधार ढूंढ़ निकाला था।

इनके अनुसार राजनीति दर्शन का कार्य है।

इनकी प्रमुख दो कृति राजनीति में तर्कबुद्धिवाद तथा अन्य निबन्ध और मानवीय विचार और विवेचन है।

इनके विचार से प्रत्येक मानव साहचर्य प्रथाओं से निर्मित होता है।

इनके अनुसार राजनीति के अन्तर्गत नागरिक साहचर्य की सत्ता को मान्यता दी जाती है।

इन्होंने कहा है कि "सभ्य मनुष्य के नाते हम उस वार्तालाप के उत्तराधिकारी हैं जो हमारे आदिकालीन वन्य जीवन से शुरू हुआ जो शताब्दियों से चला आ रहा है और अब निखार आ गया है।"

इन्होंने चिंतन आदर्शवाद से जुड़ी मान्यताओं के साथ शुरू किया।

इन्होंने कहा राजमर्मज्ञ का कार्य सबसे छोटी बुराई को सुनने की कला है।

इन्होंने कहा है कि सब जगह योजना बनाकर चलने से अच्छा होगा कि ऐसी नीति का विरोध किया जाए परन्तु दोनों तरह की नीति एक ही ढंग की राजनीति के रूप में व्यक्त होती है।

इन्होंने व्यक्ति की स्वतंत्रता को ध्यान में रखते हुए दो प्रकार की शासन प्रणाली में अन्तर किया है।

(i) संसदीय शासन प्रणाली
( 2 ) लोकप्रिय शासन प्रणाली

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