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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2746
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 25
माइकल जे. ओकशॉट एवं हन्ना आरेंट
(Michael J. Oakeshott and
Hannah Arendt)

हन्ना आरेंट
(Hannah Arendt)

आधुनिक अमेरिकी महिला दार्शनिक और राजनीति- विचारक हन्ना आरेंट (1906-75) का जन्म हैनॉवर (जर्मनी) में हुआ। उसके माता-पिता जर्मन यहूदी थे। जर्मनी में नाजीवाद के उदय के बाद उसे वहाँ से भागना पड़ा और फ्रांस के रास्ते वह संयुक्त राज्य अमेरिका पहुँच गई। इस तरह 1941 से वह अमेरिका में बस गई और फिर वहीं की नागरिक बन गई।

स्वतंत्रता का विश्लेषण

आरेंट ने प्राचीन और आधुनिक समाजों की तुलना करते हुए यह विचार व्यक्त किया है कि प्राचीन यूनानी नगर-राज्य में 'राजनीतिक जीवन' (Political life) की प्रधानता थी, परन्तु आधुनिक युग में यह विशेषता लुप्त हो चुकी है।

राजनीति ऐसा क्षेत्र है जहाँ सब नागरिक समान (Equal) माने जाते हैं और वे अपनी-अपनी विलक्षण प्रतिभा के आधार पर विश्व के बारे में अपने भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण व्यक्त करते हैं। अतः इसमें प्रत्येक नागरिक कुछ-न-कुछ करने और कहने को स्वतंत्र होता है। यही वह क्षेत्र है जहाँ विभिन्न व्यक्ति अपनी-अपनी विचार-शक्ति के अनुसार मानव जीवन को अर्थ प्रदान करते हैं और अपनी स्वतंत्रता का प्रयोग करते हैं। अतः यह 'विचार की स्वतंत्रता' का क्षेत्र है।

सर्वाधिकारवाद की उत्पत्ति

आरेंट ने सर्वाधिकारवाद की उत्पत्ति पर विशेष रूप से प्रकाश डाला है और इस क्षेत्र में विशेष ख्याति अर्जित की है। अपनी विख्यात कृति 'द ओरिजिन्स ऑफ टोटैलीटेरियानिज्म' (सर्वाधिकारवाद की उत्पत्ति) (1951) के अंतर्गत आरेंट ने तर्क दिया है कि सर्वाधिकारवाद आधुनिक युग की अभूतपूर्व घटना है। चिरसम्मत निरंकुशतंत्र और नृशंसतंत्र (Classical Despotism and Tyranny) के सिद्धांतों के अनुसार इसका विश्लेषण नहीं किया जा सकता। सर्वाधिकारवाद के प्रमुख उदाहरण नाजीवाद (Nazism) और स्टालिनवाद (Stalinism) हैं।

क्रांति का विश्लेषण

अपनी एक अन्य मुख्य कृति 'ऑन रिवोल्यूशन' (क्रांति : एक विवेचन) (1963) के अंतर्गत आरेंट ने क्रांति की सही दिशा निर्धारित करने के ध्येय से अमरीकी क्रांति (1776) और फ्रांसीसी क्रांति (1789) के स्वरूप में अंतर किया है। उसका दावा है कि जहाँ अमरीकी क्रांति एक 'स्वतंत्र संविधान' स्थापित करने में सफल हुई, वहाँ फ्रांसीसी क्रांति ने हिंसा और अत्याचार का ढांचा खड़ा कर दिया।

शक्ति का विश्लेषण

हन्ना आरेंट ने शक्ति का जो विश्लेषण प्रस्तुत किया है, उसे शक्ति का रचनात्मक सिद्धांत (Constructive Theory of Power) कहा जा सकता है। अपनी चर्चित कृति 'ऑन वॉयलेंस' (हिंसा - विचार और विवेचन) (1969) के अंतर्गत आरेंट ने 'हिंसा' और 'शक्ति' में अंतर करते हुए यह तर्क दिया है कि जब शासक जनसाधारण की इच्छा के विरुद्ध अपना प्रयोजन सिद्ध करने के लिए बल (Force) का प्रयोग करते हैं तो उनके इस व्यवहार को 'हिंसा' की संज्ञा दी जानी चाहिए।

माइकल ओकशॉट
(Michael Oakeshott )

माइकल ओकशॉट (1901-90) समकालीन अंग्रेज राजनीतिक - दार्शनिक है। वह 1952 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के अंतर्गत राजनीति विज्ञान का प्रोफेसर बना जहाँ उसने हेरल्ड लास्की (1893-1950) की कुर्सी सँभाली। 1969 में वह वहां से सेवानिवृत्त हुआ। ओकशॉट ने अनुभववाद (Empiricism) और तर्कबुद्धिवाद (Rationalism) पर प्रहार करके रूढ़िवाद (Conservatism) की नई व्याख्या प्रस्तुत की है। वस्तुतः ओकशॉट ने समकालीन समाज की समस्याओं और संकट का सजीव विवरण देते हुए रूढ़िवाद को अपनाने का नया आधार ढूंढ निकाला है।

अपनी दो चर्चित कृतियों- 'रैशनालिज्म इन पॉलिटिक्स एंड अदर एस्सेज' (राजनीति में तर्कबुद्धिवाद तथा अन्य निबंध) (1962) और 'ऑन ह्यूमन कंडक्ट' (मानवीय आचरण : विचार और विवेचन) (1975) के अंतर्गत ओकशॉट ने 'नागरिक साहचर्य' की संकल्पना प्रस्तुत की है। इसमें रूढ़िवाद और उदारवाद से जुड़े मूल्यों के समन्वय का प्रयत्न किया गया है। रूढ़िवाद के अनुरूप इसमें रीति-रिवाज, पूर्वाग्रह और परंपरा के प्रति सम्मान की आशा की जाती है और उदारवाद के अनुरूप इसमें स्वतंत्रता (Tradition) के प्रयोग की गुंजाइश रखी गई है।

ओकशॉट के विचार से प्रत्येक मानव - साहचर्य (Human association) प्रथाओं (Practices) से निर्मित होता है। प्रथाएं दो तरह की होती हैं। व्यवहार कुशलता पर आधारित प्रथाएं किसी ठोस उद्देश्य या उद्देश्यों (Substantive purposes) की पूर्ति करती हैं, परंतु नैतिक प्रथाएं किसी अन्य साध्य का साधन (Means to an end) नहीं होती। इनसे दो तरह के मानव - साहचर्यों का निर्माण होता है - (1) उद्यममूलक साहचर्य (Enterprise associations) जो व्यवहार कुशलता पर आधारित है और अपने सदस्यों के किसी ठोस उद्देश्य की पूर्ति के लिए बनाए जाते हैं; और (2) नैतिक साहचर्य जिनके उद्देश्य अपने-आप में साध्य होते हैं। नागरिक साहचर्य एक नैतिक साहचर्य है जिसमें परस्पर- आश्रित नियमों की सत्ता को मान्यता दी जाती है।

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