बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
मार्क्सवाद का उदय उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में हुआ जब चिरसम्मत उदारवाद अपने चरमोत्कर्ष पर था और पूँजीवाद पूरी तरह स्थापित हो चुका था। औद्योगिक क्रान्ति और उन्नति के कारण समाज में जो नई सम्पत्ति पैदा हुई थीं, वह गिने-चुने पूँजीपतियों की बपौती
बन गयी थीं और कामगार वर्ग घोर शोषण एवं दुर्दशा का शिकार हो रहा था।
मार्क्सवाद के अन्तर्गत मानव समाज की समस्याओं को इतिहास के माध्यम से समझने का प्रयत्न किया जाता है और इतिहास के परस्पर विरोधी शक्तियों और वर्गों के संघर्ष की प्रक्रिया के रूप में देखा जा सकता है, यह संघर्ष उत्पादन प्रणाली के त्रुटियों के कारण पैदा होता है जिसमें लोग उत्पादनों के साधनों पर अपना स्वामित्व स्थापित कर लेते हैं और शेष समाज को अपनी शर्तों पर श्रम करने के लिए विवश कर देते हैं।
मार्क्स ने इतिहास के जिन युगों में दास प्रथा, सामन्तवाद और साम्यवाद की चर्चा और समाज के जिन वर्गों बुर्जवा और सर्वहारा वर्ग का विवरण दिया वे विश्वजनीन प्रयोग के विषय बन चुके हैं।
हीगल ने चेतन तत्त्व या विचार तत्त्व को सृष्टि का सारतत्त्व मानते हुए यह तर्क दिया है कि विकास की सम्पूर्ण प्रक्रिया शुरू से अन्त तक विचारों के उत्थान पतन की कहानी है।
उत्पादन हाथ की चक्की से होता है तब सामन्त अस्तित्व में आता है जब उत्पादन भाप की चक्की से होने लगता है तब पूँजीपति उद्योग पति का अविर्भाव होता है।
मार्क्सवाद की सबसे बड़ी देन यह है कि इसने समाज के वर्गपरक आधार का विश्लेषण प्रस्तुत करके ऐसी मान्यताओं पर प्रश्न चि लगा दिया जिनके कारण समाज में निहित स्वार्थों को बढ़ावा मिलता है और शोषण का चक्र चलता रहता है।
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