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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 20
कार्ल मार्क्स
(Karl Marx)
कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 ई. में जर्मनी के छोटे नगर प्रेव में एक मध्यमवर्गीय यहूदी परिवार में हुआ था। लेकिन मार्क्स जब 6 वर्ष का था तो उसके माता-पिता ने यहूदी धर्म त्यागकर के ईसाई धर्म को अपना लिया और स्वाभाविक रूप से उनके बच्चे भी उसी धर्म के अनुयायी हो गए।
मार्क्स की प्रारम्भिक शिक्षा उसके भावी श्वसुर तथा एक उदारविचारक वैस्टफेलन के घर पर तथा एक विद्यालय में हुई। मार्क्स बहुत ही मेधावी छात्र था और पीड़ित वर्ग के प्रति उसमें बहुत सहानुभूति थी। उसकी प्रारम्भिक शिक्षा ट्रीब्ज के व्याकरण स्कूल में हुई। बाद में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से 17 वर्ष की आयु में उसने बॉन विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। किन्तु अगले ही वर्ष उसने कानून के शुष्क विषय को छोड़कर दर्शन और इतिहास विषय का अध्ययन प्रारम्भ कर दिया। वहाँ कुछ समय पश्चात् वह बर्लिन विश्वविद्यालय में चला गया। वहाँ वह हीगलवादी दर्शन के प्रभाव में आया। यहाँ से वह जेना विश्वविद्यालय में प्रविष्ट हुआ जहाँ से उसने सन् 1841 में सिर्फ 33 वर्ष की आयु में शोध पूर्ण कर पी. एच. डी. की उपाधि प्राप्त की।
1848 में मार्क्स ने जेना विश्वविद्यालय से 'डेमोक्रिटस और एपिक्यूरस से प्राकृतिक दर्शन में भेद' पर निबन्ध लिखकर डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा प्राप्त करने के बाद मार्क्स प्राध्यापक बनना चाहता था लेकिन अपने उग्र विचारों के कारण उसकी यह इच्छा पूर्ण नहीं हुई। विवश होकर उसे पत्रकारिता को अपना व्यवसाय बनाना पड़ा। फलतः वह सन् 1842 ई. में एक उदारवादी सैनिक समाचार पत्र 'राइनिचे जैइतुंग' का सम्पादक बन गया। मार्क्स के उग्र लेखन के कारण एक वर्ष बाद ही सन् 1843 ई. यह पत्र सरकारी कोप का शिकार होकर बन्द हो गया। इसी वर्ष लम्बे प्रणय व्यवहार के बाद मार्क्स ने सामन्त की पुत्री जेनीवॉन वैस्टफेलन से विवाह कर लिया। उसके उग्र विचारों के कारण जर्मनी के प्रशा प्रान्त की सरकार खतरा अनुभव करने लगी। अतः वह उसके दमन से बचने के लिए जर्मनी छोड़कर फ्रांस की राजधानी पेरिस आ गया। एंगेल्स का उद्योग एक सूती मिल इंग्लैण्ड के मेनचेस्टर में स्थित था जिसका वह संचालक था।
एंगेल्स मार्क्स का मित्र ही नहीं, आर्थिक दृष्टि से उनका संरक्षक भी था। 1845 ई. में मार्क्स जीवन की विविध विपत्तियाँ सहन करता हुआ इंग्लैण्ड पहुँचा और जीवन के अन्तिम क्षण तक वहीं रहा। 1848 ई. में मार्क्स और एंजिल्स ने 'साम्यवादी घोषणा पत्र' (Communist Manifesto) की रचना की जिसे 'साम्यवादियों का धर्मग्रन्थ' कहा जा सकता है। 1845 ई. में उसने इंग्लैण्ड में जर्मनी के रहने वालों की Workers Education Union स्थापित की।
1847 ई. में उसने इंग्लैण्ड में उसके उग्र श्रमिकों की प्रथम काँग्रेस की स्थापना की और उसका नाम Communist league रखा। 1846 ई. में मार्क्स ने लन्दन में 'अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक वर्ग समुदाय' का गठन किया, जो विश्व में 'प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय' के नाम से विख्यात है। लन्दन में रहते हुए मार्क्स अपने जीवन के अन्तिम समय तक किसी-न-किसी रूप में पूँजीवाद का अन्त करने के प्रयत्नों में लगा रहा। 1883 ई. में कार्ल मार्क्स का देहावसान हो गया।
कार्ल मार्क्स के महत्वपूर्ण कथन
मानवीय चेतना उसके सामाजिक अस्तित्व का निर्धारण नहीं करती। इसके विपरीत उसका सामाजिक अस्तित्व उसकी चेतना का निर्धारण करता है।
पूँजीपति द्वारा अपने पास रख लिया गया यह धन ही अतिरिक्त मूल्य है।
पुराने बुर्जुआ समाज तथा उसके वर्गों और वर्ग विरोधों के स्थान पर हम एक ऐसे समाज की स्थापना करेंगे जिसमें प्रत्येक का स्वतन्त्र विकास सभी के स्वतन्त्र विकास की आवश्यक शर्त होगी।
राज्य केवल एक यन्त्र है जिसकी सहायता से एक वर्ग दूसरे वर्ग का शोषण करता है।
यह उन दो मूल्यों का अन्तर है, जिसे मजदूर पैदा करता है और जिसे वह वास्तव में पाता है।
धर्म को जनता की अफीम कहा है।
मजदूरों का कोई देश नहीं होता।
बल एक नवीन समाज को जन्म देने वाले प्रत्येक पुराने समाज की दाई है।
अतिरिक्त मूल्य उन दोनों मूल्यों का अन्तर है जिसे एक श्रमिक उत्पन्न करता है और जिसे वह वास्तव में पाता है।
महत्वपूर्ण पुस्तकें
हीगल की अधिकार सम्बन्धी धारणा की आलोचना की एक प्रस्तावना
पवित्र परिवार - 1844
दरिद्रता का दर्शन - 1847
साम्यवादी घोषणा पत्र - 1848
राजनीतिक अर्थव्यवस्था की विवेचना - 1859
मूल्य कीमत और लाभ - 1865
पूँजी प्रथम खण्ड - 1877
फ्रांस में वर्ग संघर्ष - 1870-71
गोया प्रोग्राम और शान्ति तथा प्रति क्रान्ति
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