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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2746
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

जार्ज विल्हेल्म फ्रैंड्रिक हीगल उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध का प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक था मिल का चिन्तन उसकी अनेक दार्शनिक कृतियों में निहित है। उसका राजनीतिक चिन्तन मुख्यत: फिलॉसफी ऑफ राइट (सत्य दर्शन) के अन्तर्गत मिलता है

हीगल का विश्वास था कि इतिहास एक निरन्तर विकास की प्रक्रिया है जिसकी मूल प्रेरणा विवेक या चेतना है। इस प्रक्रिया के द्वारा यह चेतना अपने परम लक्ष्य अर्थात् परम चैतन्य अथवा परम सत्य की ओर अग्रसर होती है। यह प्रक्रिया अपने अन्तनिर्हित नियमों से बँधी है जिसे बाहर से नियन्त्रित या परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।

हीगल का विचार है कि सभी सामाजिक परिवर्तन और विकास परस्पर विरोधी तत्त्वों या विचारों के संघर्ष का परिणाम हैं।

परस्पर विरोधी विचारों का द्वन्द्व ही सम्पूर्ण प्रगति की कुंजी है। इस तरह सामाजिक परिवर्तन या विकास की प्रक्रिया तीन अवस्थाओं में सम्पन्न होती है। ये अवस्थाएँ हैं वाद या पक्ष, प्रतिवाद या प्रतिपक्ष और संवाद या सम्पक्ष।

सभ्यता का इतिहास राष्ट्रीय संस्कृतियों की श्रृंखला है जिसमें प्रत्येक राष्ट्र सम्पूर्ण मानवीय उपलब्धि में अपना-अपना विलक्षण औरं समयोचित योगदान प्रस्तुत करता है।

चेतन तत्त्व अपनी पुरानी अभिव्यक्तियों से अपने आप को अलग करते हुए नये-नये रूपों में ढलता चला जाता है। इस अर्थ में अलगाव मानव प्रगति के इतिहास का आवश्यक लक्षण है।

हीगल के अनुसार - राज्य या राजनीतिक समाज ऐसा साधन नहीं है जिसे मनुष्य की व्यवहारिक तर्कबुद्धि के द्वारा व्यक्ति उन्मुख लक्ष्यों की सिद्धि के लिए गढ़ा गया है।

हीगल ने यह मान्यता प्रस्तुत की है कि राज्य की आधारशिला व्यक्तिगत स्वार्थ नहीं बल्कि विश्वजनीन परार्थवाद है। दूसरे शब्दों में राज्य ऐसा क्षेत्र है जहाँ व्यक्ति अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर सम्पूर्ण समुदाय के हित में त्याग करने को तत्पर होता है।

दास में एक ही कमी पायी जाती है-वह अपने भय के कारण दास बना रहता है। यदि वह अपने भय पर विजय प्राप्त कर ले तो वह दासता से मुक्त हो जायेगा।

हीगल ने राज्य संस्था के अन्तर्गत स्वतन्त्रता, समानता, बन्धुत्व इन तीनों सिद्धान्तों के सार तत्त्व को एक-दूसरे के साथ मिलाने का भव्य प्रयत्न किया गया है।

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