बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
ग्रीन के अनुसार - स्वतन्त्रता का अर्थ नियन्त्रण या अनुशासन से मुक्ति प्राप्त करना नहीं है और हम उसे भी स्वतन्त्रता नहीं कह सकते जब एक व्यक्ति या कोई वर्ग दूसरे के स्वतन्त्रता की बलि देकर स्वतन्त्रता का उपभोग करे।
थामस हिल ग्रीन उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध का अंग्रेज दार्शनिक और समाज सुधारक था। ग्रीन का मुख्य योगदान यह था कि उसने जॉन लॉक के प्राकृतिक अधिकारों के सिद्धान्त और जेरेमी बेन्थम के उपयोगितावाद का खण्डन करते हुए नैतिक आधार पर उदारवाद का पुननिर्माण किया और इस तरह कल्याणकारी राज्य की संकल्पना को बढ़ावा दिया। उसने उदारवाद को आदर्शवाद की मान्यताओं के साथ जोड़कर प्रस्तुत किया।
लोकप्रिय प्रभुसत्ता को सामान्य इच्छा का आधार बनाकर ग्रीन ने उसके उन तत्त्वों को परे हटा दिया जो सर्वाधिकारवादी प्रवृत्तियों को बढ़ावा देते हैं।
ग्रीन के विचार तत्वमीमांसा, नीतिशास्त्र और राजनीतिदर्शन इन तीन विषयों को एक सूत्र में पिरोते हैं।
जहाँ अनुभववाद और उपयोगितावाद के समर्थक व्यक्तियों को पृथक्-पृथक् इकाइयों के रूप में देखते हैं, वहाँ ग्रीन ने मनुष्य की सामाजिक प्रकृति पर विशेष बल दिया है।
मानवीय चेतना स्वतन्त्रता को सारे चिन्तन का आधार मानती है। स्वतन्त्रता के साथ अधिकार जुड़े हैं और अधिकार राज्य की माँग करते हैं।
स्वतन्त्रता का ऐसा नकारात्मक अर्थ नहीं लगाना चाहिए कि वह प्रतिबन्ध का अभाव है जैसे सुन्दरता का यह नकारात्मक अर्थ नहीं लगाया जा सकता कि वह कुरूपता का अभाव है।
वैसे तो वही समाज सर्वोत्तम है जिसमें सब लोग स्वेच्छा या आत्मप्रेरणा से अपने-अपने लिये शिक्षा और स्वास्थ्य की व्यवस्था कर लें परन्तु जब तब ऐसी व्यवस्था नहीं हो जाती तब यह देखना राज्य का कर्त्तव्य है कि ये सुविधाएँ सबको समान रूप से उपलब्ध हों।
राज्य आदर्श उद्देश्यों की सिद्धि का साधन है स्वयं आदर्श उद्देश्य नहीं है जैसे कि आदर्शवादी विचारकों ने दावा किया है। राज्य अधिकारों को मान्यता देता है उनका सृजन नहीं करता ।
राज्य के सकारात्मक कानून को नैतिकता की कसौटी पर कसकर ही स्वीकार किया जा सकता है। राज्य का वास्तविक कार्य उन बाधाओं को दूर करना है जो मनुष्य के आदर्श उद्देश्यों के मार्ग में आती हैं।
ग्रीन ने व्यक्तियों के पृथक-पृथक हितों को मान्यता न देते हुए यह माँग की कि सब व्यक्तियों को एक वस्तुपरक नैतिक मानदण्ड के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रमाण देना चाहिए। यह विचार प्रस्तुत करके उसने समकालीन समुदायवाद के अग्रदूत की भूमिका निभाई।
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