बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
प्लेटो प्राचीन यूनान का अत्यन्त प्रतिभाशाली दार्शनिक था। उसे पश्चिमी परम्परा में सबसे पहला व्यवस्थित राजनीति सिद्धान्तकार माना जाता है। उसने राजनीति की ऐसी समस्याओं पर विचार किया जो आज के युग में भी बहुत महत्त्वपूर्ण समझी जा सकती हैं।
प्लेटो इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि एथेन्स में लोकतन्त्र का चलन था जिसमें मुख्यतः मनोवेग से काम लिया जाता है, तर्क बुद्धि से नहीं और चरित्रहीन लोग चुनाव जीतकर ऊँचे-ऊँचे पद प्राप्त कर लेते हैं।
प्लेटो ने परम्परागत विश्वासों को चुनौती देकर संशयवाद को बढ़ावा दिया।
प्लेटो ने तर्क दिया है कि, जब हम स्वास्थ्य के विकरों को दूर करने के लिए कुशल चिकित्सक के शरण में जाते हैं और जूता बनवाने जैसे साधारण कार्य के लिए भी अनुभवी शिल्पी के पास जाते हैं तब राज्य के मामलों को साधारण व्यक्तियों के हाथों में सौंपना कहाँ की बुद्धिमत्ता है।
प्लेटो का मुख्य ध्येय आदर्श राज्य व्यवस्था की संकल्पना प्रस्तुत करना है। परन्तु इसके लिए राज्य के स्वरूप को समझना जरूरी है जो कि राजनीतिशास्त्र (Politics) का विषय है। आदर्श राज्य वह होगा जो न्याय पर आधारित हो।
राज्य के सन्दर्भ में न्याय का अर्थ यह होगा कि उत्पादक वर्ग को सैनिक वर्ग से संरक्षण और ऊर्जा प्राप्त हो और दार्शनिक वर्ग से मार्गदर्शन प्राप्त हो।
न्याय की माँग है कि, समस्त व्यक्तियों की समस्त क्षमताओं के सर्वोच्च विकास और सर्वोत्तम. प्रयोग का अवसर प्रदान किया जाये।
लॉज (विधि-व्यवस्था) के अन्तर्गत प्लेटो ने तर्क दिया है कि अपूर्ण मनुष्यों के बीच आदर्श शासन प्रणाली स्थापित करना सम्भव नहीं है। अतः किसी भी तरह की शासन प्रणाली को चलाने के लिए कानून अनिवार्य हो जाते हैं।
प्लेटो ने ऐसी कानून प्रणाली का प्रस्ताव रखा है जिससे वर्तमान परिस्थितियों में सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त किये जा सकेंगे।
शासन का अधिकार केवल बुद्धि-बल पर आधारित नहीं रहेगा बल्कि भू-सम्पदा के आधार पर जनसंख्या का वर्गीकरण करके उपयुक्त वर्ग को शासन का अधिकार दिया जायेगा।
राज्य स्वयं यह निर्णय करेगा कि कौन कितनी सम्पदा रख सकता है।
प्लेटो ने शिक्षा तथा साम्यवाद की योजना में यूनानी तत्त्वों को प्रमुख रूप से ग्रहण किया है।
प्लेटो ने अपने विचारों को बड़े तार्किक रूप में रखा, उसने एक व्यवस्था निर्माण का दर्शन प्रस्तुत किया। इस सभी आधारों पर राजनीतिक चिन्तन के इतिहास में प्लेटो को आरम्भिक अथवा आदि दार्शनिक की संज्ञा देने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।
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