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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2746
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 2
प्लेटो
(Plato)

प्लेटो का जन्म एथेन्स के एक कुलीन परिवार में हुआ था। उसकी माता एथेन्स के प्रसिद्ध स्मृतिकार सोलन घराने की थी और पिता अरिस्तौन के अन्तिम सम्राट काडरस के वंश के थे। मूलत: उसका नाम 'एरिस्टोक्लीज' था। वह एक सुन्दर हष्ट-पुष्ट युवक के रूप में बड़ा हुआ और उसके चौड़े कन्धों के कारण ही उसे प्लेटो या अफलातून कहा जाने लगा। प्लेटो को प्रारम्भिक शिक्षा के बाद बीस वर्ष की अवस्था में सुकरात के विद्यालय में भेज दिया गया। वहाँ उसने 8 वर्षों तक शिक्षा ग्रहण की। उसने दो बार खेलों में इनाम जीते और एक वीर सैनिक के रूप में भी ख्याति अर्जित की। सुकरात की अद्भुत तर्क विद्या ने उसके मन को आकर्षित कर लिया और एक कुशल दार्शनिक में परिणत कर दिया। वह तब तक सुकरात की छत्रछाया में रहा जब 399 ई. पूर्व में सुकरात को प्राणदण्ड दिया गया। उसके बाद उसने कई वर्षों तक यूनान, मिस्र और इटली की यात्रा करके वहाँ की शासन प्रणालियों का अध्ययन किया। वह भारत भी आया जहाँ उसने वेदान्त की शिक्षा ली।

प्लेटो ने अपने न्याय के सिद्धान्त को साकार रूप देने के लिए आदर्श राज्य की संकल्पना की। इसका विवरण उसके प्रसिद्ध ग्रन्थ 'द रिपब्लिक' (राज्य व्यवस्था) के अन्तर्गत दिया गया है। उसमें उसने यह विश्वास व्यक्त किया कि समाज का उद्धार तभी हो सकता है जब शासन की बागडोर दार्शनिकों के हाथ में दे दी जाये। फिर शासक स्वयं दर्शनशास्त्र की शिक्षा प्राप्त करके दार्शनिक बन जाएँ।

मैक्सी के अनुसार - "प्लेटो में सुकरात पुनः जीवित हो गया है।"

सुकरात की मृत्यु के 11 वर्ष बाद प्लेटो ने विदेशी भ्रमण के बाद 388 ई. पूर्व में एक शिक्षणालय खोला। यही प्लेटो की प्रसिद्ध अकादमी या शिक्षण संस्था थी जिसे यूरोप का प्रथम विश्वविद्यालय कहा जा सकता है। प्लेटो ने अपने जीवन के शेष 49 वर्ष एक दार्शनिक और अध्यापक के रूप में यहीं बिताये। इस अकादमी में राजनीति, कानून और दर्शन सभी विषयों की शिक्षा की व्यवस्था थी किन्तु गणितशास्त्र और ज्यामिति की शिक्षा की प्रधानता थी। 81 वर्ष की आयु में 347 ई. में पूर्व महान दार्शनिक प्लेटो का देहान्त हो गया।

प्लेटो के महत्वपूर्ण कथन

राज्य व्यक्ति का विराट रूप है।

प्रत्येक व्यक्ति को अपना विशिष्ट कार्य करना तथा दूसरों के कार्य में हस्तक्षेप न करना ही न्याय है।

शिक्षा मानसिक व्याधि को दूर करने का मानसिक उपचार है।

आत्मा के लिये संगीत और शरीर के लिये व्यायाम आवश्यक है।

जब तक दार्शनिक राजा नहीं बनेंगे या राज्य तथा राजकुमार इस विश्व में दर्शनिक शक्ति तथा भावना से ओत-प्रोत न होंगे, राज्य अपनी बुराइयों से मुक्ति नहीं हो सकेगा।

शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य की आत्मा को प्रकाशोन्मुख करना है।

आदर्श राज्य वह है जो न्याय पर आधारित हो।

महत्वपूर्ण पुस्तकें 

द रिपब्लिक
द लॉज
स्टेट्समैन
क्रीटो
क्रीशस
मीनो आदि।

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