बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
काण्ट ने, विषम परिस्थितियों के बावजूद, 1766 ई० तक विश्वविद्यालय की अवैतनिक रूप से सेवा की।
1755 और 1770 ई० के बीच का समय काण्ट के विचारों के निर्माण का था।
काण्ट के प्रौढ़ ग्रन्थों में यह सर्वश्रेष्ठ दार्शनिक ग्रन्थ माना जाता है।
काण्ट के सात ग्रन्थ उपलब्ध हैं-
'नीतिदर्शन' (मेटाफ़िजिक्स ऑव मॉरल्स, 1797),
'नैतिक गुण के सिद्धान्त के दार्शनिक आधार' (मेटाफ़िज़िकल फ़ाउण्डेशंस ऑव द थ्योरी ऑव वर्च, 1796–97),
'मानस शक्तियों का अन्तविरोध, (द कॉन्फ्लिक्ट ऑव फ़ैकल्टीज़, 1798),
व्यावहारिक दृष्टि से नशास्त्र (ऐंथ्रापालॉजी फ्रॉम द प्रैक्टिकल प्वाइंट ऑव व्यू, 1798),
'तर्कशास्त्र' (लॉजिक, 1800), 'भौतिक भूगोल' ( 1802) तथा 'शिक्षाशास्त्र (पेडॉगॉजिक्स, 1802)।
काण्ट का व्यक्तिगत जीवन अटल नियमों से जकड़ा हुआ था।
पाश्चात्य दार्शनिकों में से अधिकांश भ्रमणशील रहे हैं, किन्तु काण्ट अपने नगर से जीवन भर में अधिक से अधिक साठ मील गया था। फिर भी उसका दृष्टिकोण संकुचित न था।
रचनाएँ-
शुद्ध ज्ञान की परीक्षा।
आचारमूलक ज्ञान की परीक्षा।
कला और सौन्दर्यमूलक ज्ञान की परीक्षा।
इमानुएल काण्ट के दर्शन को भली-भाँति समझने के लिये हमें अन्य दार्शनिकों के काण्ट न को समझना आवश्यक है।
काण्ट के सिद्धान्त को समीक्षावाद (Criticism) कहते हैं; क्योंकि काण्ट बुद्धिवाद और अनुभववाद दोनों की समीक्षा करते हैं। काण्ट के पूर्व बुद्धिवाद तथा अनुभववाद दो विरोधी सिद्धान्त थे।
काण्ट ने अपनी बारह वर्षों की सतत साधना के पश्चात् इन दोनों का समन्वय किया।
काण्ट के ज्ञान सिद्धान्त के दो पक्ष हैं-खण्डन और मण्डन खण्डन पक्ष काण्ट बुद्धिवाद और अनुभववाद दोनों के दोषों का खण्डन करते हैं तथा मण्डन में दोनों की मान्यताओं का समन्वय कर समीक्षावाद का प्रतिपादन करते हैं।
काण्ट के अनुसार जिन बातों को बुद्धिवादी अनुभववादी स्वीकार करते हैं, वे सत्य हैं और जिन बातों का वे निषेध करते हैं, वे असत्य हैं।
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