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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2746
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

जॉन ऑस्टिन का जन्म सन् 1790 ई० में हुआ था।
जॉन ऑस्टिन कि सेना में सन् 1812 में भर्ती हुये थे।
जॉन ऑस्टिन ने सन् 1818 में अधिवक्ता हुये।

जॉन ऑस्टिन ने लंदन विश्वविद्यालय की स्थापना होने पर वह न्यायशास्त्र के शिक्षक नियुक्त हुए।

जॉन ऑस्टिन विधिशास्त्र की जर्मन प्रणाली का अध्ययन करने के लिये जर्मन गये।

इनकी पुस्तक 'प्राविस ऑफ जुरिसप्रूडेंस डिटर मिंड' सन् 1832 में प्रकाशित हुई।

सन् 1834 ई० में ऑस्टिन ने इनट टैंपल में न्यायशास्त्र के साधारण सिद्धान्त एवं अन्तर्राष्ट्रीय विधि पर व्याख्यान दिये।

जॉन ऑस्टिन की पत्नी का नाम 'जारा टैंलर' था।
जॉन ऑस्टिन 19 वीं शताब्दी के दार्शनिक माने जाते हैं।
जॉन ऑस्टिन की पुत्री का नाम सूसी था।

जॉन ऑस्टिन रोमन विचारक होने के कारण संप्रभुता को राज्य की परिपूर्णता।

जॉन ऑस्टिन ने कानून को सम्प्रभू की आज्ञा माना है।

जॉन ऑस्टिन ने कहा है कि अन्तर्राष्ट्रीय विधि वास्तव में कुछ नैतिक नियम है।

जॉन ऑस्टिन सम्प्रभु ने शक्तिशाली वर्ग की संज्ञा दी है।

जॉन ऑस्टिन ने कहा है कि “कानूनी संप्रभुता उस संस्था में निहित होती है जो कानून बनाने की शक्ति रखती है।

जॉन ऑस्टिन एक रोमन विचारक थे।

जॉन ऑस्टिन के अनुसार राजनीतिक संप्रभुता का उदय हुआ था।

यह सन् 1688 में उदय हुआ था।

सम्बन्ध राज्य किसी भी प्रकार से बाध्य नियंत्रण से मुक्त होगा। ऑस्टिन का यह मत था।

ऑस्टिन ने सर्वप्रथम संप्रभु की व्याख्या की थी।

ऑस्टिन के अनुसार संप्रभुता का सिद्धान्त “राज्य की विधिक सर्वोच्चता पर अधिक बल देता है।

जॉन ऑस्टिन ने “न्यायशास्त्र की व्याख्या" नामक पुस्तक लिखी।

ऑस्टिन के सम्प्रभुता के सिद्धान्त को 'वेदांत' में नाम निरूपित किया है।

ऑस्टिन संप्रभुता को उद्वैतवादी सिद्धांत के पक्ष में थे।

ऑस्टिन की मृत्यु दिसम्बर 1859 को बेयब्रिज में हुई थी।

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