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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2746
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

आधुनिक यूरोप का राजनीतिक चिन्तन सोलहवीं शताब्दी से आरम्भ होता है। इसके उदय में पुनर्जागरण और धर्म - सुधार का विशेष हाथ रहा है।

पुनर्जागरण के आरंम्भ से धार्मिक क्षेत्र में पुराने बहुदेववादी सिद्धान्त के प्रति आकर्षण पैदा हो गया था और तत्कालीन विचारकों का ध्यान अलौकिक और अध्यात्मिक समस्याओं से हटकर सांसारिक एवं मानवीय समस्याओं की ओर खिंच रहा था।

मैकियावली को पुनर्जागरण की सन्तान कहा जाता है पुनर्जागरण यूरोप का एक सांस्कृतिक आन्दोलन था जो चौदहवीं शताब्दी से इटली में शुरू हुआ और बाद में फ्रांस, स्पेन, जर्मनी, और उत्तरी यूरोप तक फैल गया।

मैकियावली ने मध्ययुगीन चिन्तन पर पटाक्षेप करके राजनीतिक विचारों के इतिहास को आधुनिक युग की देहरी पर लाकर खड़ा कर दिया।

मैकियावली यह मानता था कि अतीत के इतिहास के अध्ययन में ही हमें वर्तमान और भविष्य की कुंजी मिल सकती है।

राजनीतिक चिन्तन में नीतिशास्त्र की प्रधानता थी परन्तु मैकियावली ने राजनीति को नीतिशास्त्र से बिल्कुल अलग कर दिया।

इटली को एकीकरण की प्रेरणा देने और उसकी नई पहचान स्थापित करने के उद्देश्य से मैकियावली ने 'एक राष्ट्र एक राज्य' का सिद्धान्त रखा। राष्ट्र-राज्य एक नया विचार था।

एक सच्चे देशभक्त की तरह मैकियावली ने अनुभव किया कि अपने देश को अव्यवस्था और असुरक्षा की दुःखद स्थिति से मुक्ति दिलाने का एक ही रास्ता था - छोटे-छोटे स्वतन्त्र राज्यों के अस्तित्व को विलीन करके सम्पूर्ण देश पर एकछत्र शासन की स्थापना कर दी जाये। इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैकियावली ने राष्ट्र-राज्य सिद्धान्त को बढ़ावा दिया।

उसे राजनीति के क्षेत्र में प्रथम यथार्थवादी कहा जाता है।

मैकियावली ने आधुनिक युग के आरम्भ में ही राजनीति को एक स्वाधीन विषय के रूप में स्थापित कर दिया।

मैकियावली ऐसा विचारक था जिसने राज्य को शक्ति के संगठन के रूप में देखा और राजनीति को धर्म और तत्त्व मीमांसा के उपाश्रित की स्थिति से उबारकर एक स्वायत्व विषय का रूप दिया।

राजनीति का सर्वोच्च लक्ष्य सार्वजनिक उपयोगिता है।

मैकियावली के अनुसार राज्य की स्थापना के लिए बल की जरूरत होती है, परन्तु उसे कायम रखने के लिए छल की जरूरत होती है।

मैकियावली को 'शैतान का शागिर्द' और 'तानाशाहों का उस्ताद' कहा जाता है।

मैकियावली का ध्येय शासन की कला का वर्णन करना था, राज्य के सिद्धान्त का निरूपण करना नहीं।

यदि वर्तमान विश्व को अपने अभिशापों से मुक्ति का मार्ग ढूँढ़ना है तो उसे महर्षि टाल्स्टाय और महात्मा गाँधी से मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए।

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