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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2746
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

जॉन लॉक सत्रहवीं शताब्दी का प्रसिद्ध अंग्रेज विचारक था। उसे उदारवाद का जनक माना जाता है। यह बात महत्त्वपूर्ण है कि उदारवाद के विकास में औद्योगिक क्रान्ति का विशेष हाथ रहा है। इंग्लैण्ड पहला ऐसा देश था जिसने औद्योगिक क्रान्ति के प्रभाव को अनुभव किया। अतः यह स्वाभाविक ही है कि उदारवाद का मूल प्रवर्तक इंग्लैण्ड में पैदा हुआ।

उसका मानना है कि समुदाय ऐसा गृहस्वामी है जो घर की रखवाली के लिए पहरेदार रखता है, फिर वह स्वयं जाग जागकर यह देखता रहता है कि कहीं वह पहरेदार सो तो नहीं गया है।

लॉक ने जीवन स्वतन्त्रता और सम्पत्ति के अधिकार को प्राकृतिक अधिकार माना है। उसने तर्क दिया कि मनुष्य इन्हीं अधिकारों की रक्षा के लिए नागरिक समाज या राज्य का निर्माण करते हैं।

राजनीतिक सत्ता की उत्पत्ति नागरिक समाज से होती है। अतः प्राकृतिक दशा शान्ति सद्भावना, परस्पर सहायता और रक्षा की जो स्थिति विद्यमान थी, वह बिगड़ कर शत्रुता, हिंसा, वैमनस्य और परस्पर विनाश की स्थिति में बदल जायेगी।

लॉक के अनुसार सम्पत्ति की सुरक्षा का विचार ही मनुष्यों को यह प्रेरणा देता है कि वे प्राकृतिक दशा को त्यागकर नागरिक समाज की स्थापना करें।

लॉक ने तर्क दिया है कि कोई भी मनुष्य अपने उपयोग के लिए इन संसाधनों में से किसी का प्रयोग तभी कर सकता है जब वह उसके साथ अपना श्रम मिलाकर उस पर अपना अधिकार सिद्ध कर सके।

मनुष्य धरती से उतना ही ग्रहण करे जिससे दूसरों के लिए भी पर्याप्त हिस्सा बचा रहे। दूसरी यह है कि मनुष्य उतना ग्रहण करे कि उसके नष्ट होने से पहले उसे जीवन के लिए उपयोगी बना सके।

यदि कोई व्यक्ति उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से बहुत सारी भूमि अपने अधिकार में ले लेता है तो उससे यह नहीं पूछा जाना चाहिए कि दूसरों के लिए पर्याप्त भूमि बच गई है या नहीं।

मनुष्य का श्रम निस्संदेह उसकी अपनी चीज है इसलिए वह उसे बाजार में बेचने के लिए स्वतन्त्र है। श्रम बिक जाने के बाद अपने खरीददार की सम्पत्ति बन जाता है।

वह न केवल उत्पादन के उद्देश्य से असीम सम्पत्ति के संचय को उचित ठहराता है बल्कि राज्य को निजी सम्पत्ति की सुरक्षा का साधन बनाकर बाजार की आर्थिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करने से रोकता है।

लॉक यह स्वीकार करता है कि प्रत्येक मनुष्य चाहे वह धनवान हो या निर्धन नागरिक समाज का सदस्य है क्योंकि उसे अपने जीवन और स्वतन्त्रता की रक्षा में दिलचस्पी होती है।

व्यवहार के धरातल पर सारे निर्णय केवल सम्पत्तिशाली वर्ग के बहुमत से ही किये जाते हैं निर्धन वर्ग का उनमें कोई हाथ नहीं होता।

नागरिक समाज की स्थापना अनुबन्ध के द्वारा की जाती है, परन्तु सरकार की स्थापना विश्वास पर आधारित न्यास के द्वारा की जाती है।

लॉक के अनुसार सरकार को ऐसा सुरक्षित और शान्तिपूर्ण वातावरण बनाने का दायित्व सौंपा गया है जिसमें नागरिक समाज के सदस्यों की सम्पत्ति की यथेष्ट रक्षा हो सके।

लॉक ने अपना चिन्तन इतिहास के जिस दौर में प्रस्तुत किया, उस समय वह उभरते हुए पूँजीवाद को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक था परन्तु आज के युग में उसकी सारी मान्यताओं को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

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