बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 राजनीति विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
सिसरो स्टोइक विचारधारा का प्रतिनिधि विचारक था।
स्टोइक यूनानी भाषा के शब्द स्टोआ से निकला है जिसका अर्थ है- दहलीज।
सामान्यत: स्टोइक ऐसे व्यक्ति को कहा जाता है जो कि सांसारिक सुखों-दुखों के प्रति उपेक्षा का भाव रखता हो।
स्टोइकवाद को सिनिकवाद का ही विकसित रूप माना जाता है।
स्टोइक विचारधारा के विकास का श्रेय एवीक्टीटस, मार्क्स ऑरीलिथस, सेनेका, सिसरो को दिया जाता है।
स्टोइक विचारधारा के मूल सिद्धान्त हैं - आनन्द का आत्मिक स्वरूप स्वाधीनता, इच्छा शक्ति की सर्वोच्चता, सार्वभौमिक प्राकृतिक कानून, प्राकृतिक कानून की सार्वभौमिकता, नागरिकता, समानता।
सिसरो की प्रमुख रचनाएँ - डि रिपब्लिका, डिलेजिबस या द लॉज।
सिसरो की प्रमुख रचनाएँ संवादात्मक शैली में लिखित हैं।
डि रिपब्लिका के अन्तर्गत सिसरो ने प्लेटो की भाँति आदर्श राज्य के स्वरूप का वर्णन किया।
प्लेटोनिक राज्य सैद्धान्तिक तथा आदर्शोन्मुख अधिक था जबकि सिसरो का आदर्श राज्य वास्तविकताओं के अनुकुल व व्यवहारिक है।
सिसरो का आदर्श राज्य रोमन गणतन्त्र की प्रतिकृति है।
डि लेजिबस याद लॉज में उसने डि रिपब्लिका में प्रतिपादित सिद्धान्तों को और अधिक स्पष्ट किया है।
"सिसरो की इन रचनाओं का उद्देश्य रोम के प्राचीन राजनीतिक सिद्धान्तों को पुनर्जीवित करना था क्योंकि रोम की प्राचीन राजनीतिक व्यवस्था के प्रति उसकी गहरी श्रद्धा थी और वह उस प्राचीन गणतन्त्रीय व्यवस्था को पुनस्थापित करने का इच्छुक था" प्रो. डनिंग
सिसरो राज्य की उत्पत्ति का मूल कारण मनुष्य की सामाजिक प्रवृत्ति को मानता है।
प्लेटो-अरस्तू के विपरीत वह राज्य की कानूनी अवधारणा का प्रतिपादन करता है।
सिसरो राज्य को विधिजन्य समुदाय (Community of Law) कहता है।
"राज्य उन जन समूह की सम्पत्ति है जो पर्याप्त बड़ी संख्या में पारस्परिक लाभ की इच्छा से कानून तथा अधिकारों के विषय में एक सामूहिक सहमति के द्वारा संगठित हो जाते हैं।"
कानून प्राकृतिक होते हैं तथा प्राकृतिक कानून सार्वभौमिक तथा अपरिवर्तनशील हैं।
"राज्य द्वारा निर्मित कानून प्राकृतिक कानूनों के अनुकूल होने चाहिए।"
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