प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पाण्ड्य शासकों के काल में मन्दिर निर्माण - कला पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
पाण्ड्य शासकों के समय पल्लव तथा चोलकालीन मन्दिर निर्माण कला की द्रविड़ शैली में कुछनये तत्व समाविष्ट हो गये थे। पल्लव तथा चोल शासकों द्वारा बनवाये गये मन्दिरों में द्रविड़ वास्तु का चरम विकास हुआ परन्तु बारहवीं सदी के बाद में मन्दिर में शिखर के स्थान पर उन्हें चारों ओर से घेरने वाली दीवारों के प्रवेश द्वारों को महत्व प्रदान किया गया। पाण्ड्यों के समय मन्दिर के प्रवेश द्वार चारों दिशाओं में बनाये जाते थे। इसके ऊपर पहरेदारों के लिये कक्ष बनाये जाते थे। बाद में इन पर ऊँचे शिखर बनाये गये, जिन्हें गोपुरम् कहा गया।
पाण्ड्य शासकों के काल में मदुरै, श्रीरंगम् आदि स्थानों पर गोपुरम् - युक्त मन्दिरों का निर्माण करवाया गया। ये मन्दिर आधुनिक युग की महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं। कुछ पाण्ड्य मन्दिरों में नागर तथा द्रविड़ शैलियों के मिश्रित तत्व दृष्टिगोचर होते हैं। इन मिश्रित शैली को 'बेसर शैली' कहा जाता है।
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