प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वरगुण II पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
वरगुण द्वितीय
वरगुण द्वितीय श्रीमार श्रीवल्लभ का पुत्र था और पिता की मृत्यु के पश्चात् पल्लव और सिंहल के राजाओं द्वारा उसे पाण्ड्य वंश की गद्दी पर बैठाया गया था। वरगुण को प्रारम्भ में चोल नरेश विजयालय से युद्ध करना पड़ा। 850 ई. के लगभग विजयालय ने तंजोर पर अधिकार कर लिया। वरगुण ने पल्लव नृपतुंग की सहायता से विजयालय पर आक्रमण किया। उसकी सेना कावेरी नदी तट पर स्थित इडवै नामक स्थान तक पहुँच गयी। किन्तु इसी बीच पल्लव वंश के शासक नृपतुंग एवं अपराजित में गद्दी के लिए संर्घष प्रारम्भ हो गया। वरगुण ने नृपतुंग का साथ दिया तथा अपराजित के साथ सिंहल, चोल तथा पश्चिमी गंगा के राजा पृथ्वीपति थे। 880 ई. के लगभग श्रीपुरम्बियम के युद्ध में अपराजित को विजय प्राप्त हुई और वरगुण पराजित हुआ। इसके पश्चात् पाण्ड्यों की शक्ति कमजोर पड़ गयी तथा उनका राज्य कावेरी के दक्षिण में सिमट गया। शेष राज्य चोलों की अधीनता में चला गया। इसी समय वरगुण के छोटे भाई वीरनारायण ने उसे गद्दी से हटाकर सिंहासन पर अधिकार कर लिया।
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