प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मारवर्मन राजसिंह I का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
मारवर्मन राजसिंह प्रथम
सन् 730 ई. में मारवर्मन राजसिंह प्रथम कोच्चाड्डयन के उत्तराधिकारी के रूप में पाण्ड्य वंश की गद्दी पर बैठा तथा उसने सन 765 ई. तक राज्य किया। यह भी अपने पिता की भाँति एक शक्तिशाली राजा था। उसके समय में पल्लव नरेश नन्दिवर्मन द्वितीय तथा उसके चचेरे भाई चित्रमाय के बीच गद्दी के लिये युद्ध प्रारम्भ हो गया। मारवर्मन ने चित्रमाय की सहायता की। वेल्विकुडी लेख से यह ज्ञात होता है कि उसने पललवों को करुमंडै, मणैकुरिचि, कोदुम्बालूर, तिरुमंगै, पूवलूर आदि अनेक युद्धों में पराजित किया तथा पल्लव सेना के बहुत से हाथियों तथा घोड़ों को छीन लिया। इसके साथ यह भी ज्ञात होता है कि उसने नन्दिवर्मन को नन्दिग्राम में बन्दी बना लिया। किन्तु पल्लव सेनापति उदयचन्द्र ने उसे मुक्त करा लिया। पल्लवों के विरुद्ध अपनी सफलता के उपलक्ष्य में मारवर्मन ने 'पल्लवभंजन' की उपाधि धारण की। मारवर्मन के शासनकाल में कोंगू प्रदेश में विद्रोह हुआ, जिसे उसने सफलतापूर्वक दबा दिया। इसके पश्चात् पेरियलरूर के युद्ध में अपने शत्रुओं को पराजित कर उसने कावेरी नदी को पार किया तथा मलकोंगम् पर अपना अधिकार कर लिया। यहाँ का राजा मालवाराज पराजित हुआ तथा उसने अपनी पुत्री का विवाह मारवर्मन के साथ कर दिया। मारवर्मन के विरुद्ध गंग नरेश श्रीपुरुष ने चालुक्य नरेश कीर्तिवर्मन द्वितीय के साथ मारवर्मन पर आक्रमण किया किन्तु 750 ई. के लगभग मारवर्मन ने गंगों तथा चालुक्यों को सेनाओं के साथ वेणवई में पराजित कर दिया। उसके पश्चात् गंग नरेश ने अपनी पुत्री का विवाह उसके पुत्र जटिलपरान्तक के साथ कर दिया। यह मारवर्मन की उल्लेखनीय उपलब्धि थी।
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