प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वेंगी के चालुक्य राज्य पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
'वेंगी का चालुक्य राजवंश' अथवा 'पूर्वी चालुक्य' किसे कहा जाता है? संक्षेप में बताइए।
उत्तर-
वेंगी के चालुक्य
वेंगी का प्राचीन चालुक्य राज्य मुख्यतः कृष्णा एवं गोदावरी नदियों के बीच के क्षेत्र में स्थित था। इसकी राजधानी वेंगी (वेंगिपुर) थी जिसका समीकरण आंध्र प्रदेश के गोदावरी जिले में स्थित वर्तमान पेडुवेगी से किया जाता है।
वेंगी के चालुक्य वंश का उत्थान बादामी के चालुक्य वंश की ही एक शाखा के रूप में हुआ। वातापी (बादामी) के चालुक्य सम्राट पुलकेशिन द्वितीय ने पूर्वी दक्षिणापथ (पूर्वी दक्कन) को सुव्यवस्थित एवं नियंत्रित करने के लिए अपने छोटे भाई कुब्ज (कुबड़ा) विष्णुवर्द्धन को आंध्र राज्य का प्रांतपति (उपराजा) नियुक्त किया था। कालांतर में विष्णुवर्द्धन ने अपनी शक्ति बढ़ाकर वेंगी को केन्द्र बनाकर एक स्वतंत्र चालुक्य राज्य की स्थापना की, जिसे 'वेंगी का चालुक्य राजवंश' या 'पूर्वी चालुक्य' के नाम से जाना जाता है।
वेंगी के चालुक्य शासक अपने को पश्चिमी चालुक्यों की तरह मानव्यगोत्रिय, हारितिपुत्र तथा कार्तिकेय और सप्तमातृकाओं से जोड़ते हैं, साथ ही अपने को वे उन कदंबों और इक्ष्वाकुओं से भी जोड़ते हैं, जिनके अधिकार वाले भू-भाग को उन्होंने स्वयं अधिकृत किया था। किन्तु उनकी पूरी वंशावली पुलकेशिन द्वितीय के हैदराबाद वाले (613 ई.) अभिलेख में प्राप्त होती है।
चालुक्य राजवंश
वेंगी के पूर्वी चालुक्यों ने 7वीं शताब्दी से आरम्भ करके 1075 ई. तक लगभग 460 वर्षों तक शासन किया। अपने उत्कर्ष काल में यह राज्य पूर्व में उड़ीसा के गंजाम जिले में महेन्द्रगिरि तक, पश्चिम में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में मन्नेरू नदी तक, उत्तर में भूतपूर्व हैदराबाद राज्य बस्तर तथा मध्य भारत की सीमाओं तक और दक्षिण में बंगाल की खाड़ी तक विस्तृत था। इस प्रकार मोटे तौर पर इसमें उड़ीसा राज्य में आधुनिक गंजाम जिले का दक्षिणी भाग तथा आंध्र राज्य के विशाखापट्टनम, गोदावरी, कृष्णा, गुंटूर एवं नेल्लोर जिले सम्मिलित थे।
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