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प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति

बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2745
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- कल्याणी के चालुक्य राजवंश की उत्पत्ति कैसे हुयी? संक्षेप में बताइए।

उत्तर-

10वीं शताब्दी के अंतिम चरण में कल्याणी या कल्याण में भी चालुक्यों की एक शाखा का राजनीतिक उत्कर्ष हुआ। उस समय दक्षिणापथ की राजनैतिक स्थिति निरंतर परिवर्तनशील थी। मालवा के परमार शासकों के निरंतर आक्रमणों के कारण राष्ट्रकूट साम्राज्य जर्जर हो गया था और कृष्ण तृतीय के दुर्बल उत्तराधिकारी खेट्टिग और कर्क द्वितीय इसकी सुरक्षा करने में सक्षम नहीं थे। अंतिम राष्ट्रकूट शासक कर्क द्वितीय के समय उसका सामंत चालुक्यवंशीय तैलप द्वितीय बहुत शक्तिशाली हो गया। 973-74 ई. में तैलप द्वितीय ने अपनी शक्ति और कूटनीति से राष्ट्रकूटों की राजधानी मान्यखेट पर अधिकार कर लिया और एक नये राजवंश की स्थापना की, जो 'कल्याणी के चालुक्य राजवंश' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इन्हें 'पश्चिमी चालुक्य' के नाम से भी जाना जाता है।

चालुक्य राजवंश की उत्पत्ति-विषयक विवरण सर्वप्रथम 11वीं शताब्दी तथा इसके बाद के वेंगी एवं कल्याणी के चालुक्य शासकों के अभिलेखों, रन्न कवि के कन्नड़ काव्य 'गदायुद्ध' तथा विल्हण के 'विक्रमांकदेवचरित' आदि साक्ष्यों में मिलते हैं। इन साक्ष्यों में उन्हें न केवल वातापी के चालुक्यों का वंशज कहा गया है, वरन् उत्तर भारत की प्रसिद्ध नगरी अयोध्या का मूलनिवासी भी बताया गया है। इसके अनुसार ये चालुक्यवंशीय विक्रमादित्य के भाई, जिसके नाम का तो पता नहीं है, किन्तु जिसकी उपाधि भीम पराक्रम थी, के वंशज थे। विक्रमादित्य षष्ठ के कौथेम अभिलेख के अनुसार 59 चालुक्य राजाओं ने अयोध्या में शासन किया। तदंतर वे दक्षिणापथ चले गये जहाँ 16 शासकों ने राज्य किया। इसके बाद की कुछ पीढ़ियों का इतिहास धूमिल है। फिर जयसिंहवल्लभ नामक राजा ने राष्ट्रकूटों को पराजित किया और अपने वंश का उद्धार किया था। इसके विपरीत रन्न विरचित 'गदायुद्ध' में सत्याश्रय तथा जयसिंह (विष्णुवर्धन) को अयोध्यापुरी का राजा बताया गया है और कहा गया है कि जयसिंह ने राष्ट्रकूटों को पराजित कर दक्षिणापथ में चालुक्य राजवंश को स्थापित किया था।

विल्हण के विक्रमांकदेवचरित के अनुसार - इंद्र के अनुरोध करने पर दुष्टों का दमन करने और नास्तिकता को समाप्त करने के लिए ब्रह्मा ने अपने चुलुक (चुल्लू) से एक वीर पुरुष को जन्म दिया था और उसी वीर पुरुष के नाम पर यह वंश चालुक्य वंश के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1025-26 ई. के कल्याण अभिलेख में भी ब्रह्मा को चालक्यों का आदिपूर्वज बताया गया है।

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