प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न - राजराज चोल के वेंगी पर आक्रमण का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
राजराज चोल का वेंगी पर आक्रमण
चोल साम्राज्य की महत्ता का वास्तिवक संस्थापक राजराज चोल 985 ई. के मध्य चोल राजवंश की गद्दी पर बैठा। उसने अपनी आन्तरिक स्थिति को सुदृढ़ करके अनेकानेक विजयें हासिल कीं। उसके समय में वेंगी राज्य की स्थिति अत्यन्त खराब थी। 973 ई. के आसपास वहाँ के सिंहासन पर चोडभीम ने दानार्णव की हत्या कर अपना अधिकार स्थापित कर उसके दोनों पुत्रों शक्तिवर्मन तथा विमलादित्य को वेंगी से निकाल दिया था। इन्होंने राजराज के दरबार में शरण ली। राजराज ने वेंगी से निकाले गये दोनों राजकुमारों को चोडभीम के विरुद्ध संरक्षण प्रदान किया। जब चोडभीम ने तोण्डमण्डलम पर आक्रमण करने की योजना बनायी तो राजराज ने उसे पराजित कर बन्दी बना लिया और शक्तिवर्मन को वेंगी का राजा बना दिया, जिससे वेंगी राजराज का संरक्षित राज्य बन गया। राजराज की इस सफलता से नाराज होकर कल्याणी के चालुक्य नरेश सत्याश्रय ने 1006 ई. के आसपास वेंगी पर आक्रमण कर दिया। राजराज चोल ने उसके विरुद्ध दो सेनाएँ भेजीं। प्रथम सेना ने पश्चिमी चालुक्य राज्य पर आक्रमण करके बनवासी पर अधिकार किया और मान्यखेट को ध्वस्त कर दिया। दूसरी सेना ने वेंगी पर आक्रमण करके हैदराबाद के उत्तर पश्चिम में कुल्पक के दुर्ग पर अधिकार कर लिया। इससे सत्याश्रय को विवश होकर वेंगी राज्य छोड़ना पड़ा और बड़ी कठिनाई से वह अपने राज्य को बचा पाया। चोल सेना उसके राज्य से अतुल सम्पत्ति लेकर वापस लौटी। इस प्रकार शक्तिवर्मन वेंगी राज्य पर शासन करता रहा, लेकिन वह पूर्णतया चोलों पर ही आश्रित रहा। राजराज ने अपनी बेटी कुन्दवाँ देवी का विवाह उसके छोटे भाई विमलादित्य के साथ कर दिया जिससे दोनों के सम्बन्ध और अधिक मैत्रीपूर्ण हो गये।
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