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प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति

बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2745
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पल्लव नरेश सिंहविष्णु के विषय में आप क्या जानते हैं?

अथवा
पल्लव राजा सिंहविष्णु के विषय में बताइए।

उत्तर-

पल्लव नरेश सिंहविष्णु (575-600 ई.)

पल्लवों शासकों में जो भी महान शासक हुए, उनमें सिंहवर्मन के पुत्र सिंहविष्णु का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है। सिंहविष्णु के 575 ई. में शासन ग्रहण करने के पश्चात् ही पल्लव राजवंश की महानता एवं गौरव के युग की शुरूआत होती है। सिंहविष्णु ने 'अवनिसिंह' की उपाधि धारण की थी तथा अनेक स्थानों को जीतकर अपने राज्य का विस्तार किया था। कशाकुडी दानपत्र से ज्ञात होता है कि उसने कलभ्र, चोल, पाण्डय तथा सिंहल के राजाओं को पराजित किया। चोल शासक को पराजित कर उसने चोलमण्डलम पर अधिकार कर लिया। उसकी विजयों के फलस्वरूप पल्लव राज्य की दक्षिणी सीमा कावेरी नदी तक जा पहुँची।

सिंहविष्णु वैष्णव धर्मानुयायी था तथा उसने कला को प्रोत्साहन दिया। उसके समय में मामल्लपुरम में वाराह मन्दिर का निर्माण हुआ जिसमें सिंहविष्णु की एक मूर्ति अंकित है। इसमें उसकी दो रानियों को भी दिखाया गया है। कुछ विद्वानों की मान्यता है कि संस्कृत साहित्य के अमर कवि भारवि इसकी सभा के आभूषण थे। अवन्तिसुन्दरी कथा के अनुसार भारवि दक्षिण भारत के निवासी थे तथा विष्णुवर्द्धन की सभा में रहते थे। सम्भव है विष्णुवर्द्वन पल्लव शासक सिंहविष्णु को ही कहा जाता था। सिंहविष्णु ने लगभग 600 ई. तक शासन किया।

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