प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- होयसल राजाओं के काल में मन्दिर निर्माण कला की उन्नति पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
होयसल राजाओं के काल में मन्दिर निर्माण की एक नई शैली का विकास हुआ। उस समय मन्दिरों का निर्माण भवन के समान ऊँचे ठोस चबूतरे पर किया जाता था। चबूतरों तथा दीवारों पर हाथियों, घोड़ों, हंसों तथा पौराणिक कथाओं से सम्बन्धित अनेक मूर्तियाँ बनायी जाती थीं।
होयसल नरेशों द्वारा बनवाये गये मन्दिरों के उदाहरण आज भी वेलूर, हलेबिड तथा श्रवणबेलगोला में प्राप्त होते हैं। इन मन्दिरों में 'होयसलेश्वर' का प्राचीन मन्दिर सर्वाधिक प्रसिद्ध है जिसका निर्माण विष्णुवर्द्धन के शासनकाल में हुआ था। यह 160 फुट लम्बा तथा 122 फुट चौड़ा है। इसमें शिखर का अभाव है। इसकी दीवारों पर अद्भुत मूर्तियाँ बनाई गई हैं, जिनमें देवताओं, मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों आदि की मूर्तियाँ प्रमुख हैं।
होयसल नरेश विष्णुवर्द्धन ने 1117 ई. में वेलूर में 'चेन्नाकेशव मन्दिर' का भी निर्माण करवाया था जो 178 फुट लम्बा तथा 156 फुट चौड़ा है। इस मन्दिर के चारों ओर बाड़ा है जिसमें तीन तोरण-द्वार बने हैं। तोरण द्वारों पर अनेक सुन्दर दृश्यों का अंकन मिलता है जो रामायण तथा महाभारत से लिये गये हैं। इस मन्दिर के अन्दर भी कई मूर्तियाँ बनी हुई हैं। इनमें सरस्वती देवी का नृत्य मुद्रा में बना मूर्ति - चित्र सर्वाधिक सुन्दर एवं मनोहर है। इस प्रकार होयसल काल के मन्दिर अपने आकार-प्रकार, निर्माण-शैली तथा सुदृढ़ता के लिये बहुत प्रसिद्ध हैं।
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