प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- "होयसल नरेश बल्लाल तृतीय अपने वंश का महापराक्रमी एवं योग्य शासक था।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर-
होयसल साम्राज्य पर जिस समय चारों ओर से विपत्ति के बादल छाए हुए थे उस समय बल्लाल तृतीय का राज्याभिषेक हुआ। वह महापराक्रमी तथा योग्य शासक था परन्तु उसकी सम्पूर्ण ऊर्जा तत्कालीन छोटी-छोटी विपत्तियों को दूर करने में खर्च होती रही।
बल्लाल तृतीय ने 1303 ई. में तुलुप राज्य को जीत लिया तथा देवगिरि के यादवों को आक्रान्त करने के उद्देश्य से यादव नरेश रामचन्द्र को पराजित किया। उसकी सामरिक उपलब्धियों के फलस्वरूप 1305 ई. तक वनवासी, शिमोगा, सान्तलिंग तथा कोगलि आदि क्षेत्रों पर उसका अधिकार हो गया।
दक्षिण में कावेरी घाटी में कुलशेखर पाण्ड्य की मृत्यु के बाद उसके पुत्रों में राजसिंहासन को लेकर गृहयुद्ध छिड़ गया था। बल्लाल तृतीय ने उचित अवसर पाकर पाण्ड्यों पर आक्रमण कर दिया और उनसे किंग, होंडयनाड, मुगव आदि क्षेत्रों को छीन लिया। इन विजयों के कारण 1310 ई. तक होयसलों की राज्य शक्ति एक बार पुनः सुदृढ़ हो गई।
1310 ई. में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति मलिक काफूर ने होयसल साम्राज्य पर आक्रमण कर दिया जिसमें बल्लाल तृतीय पराजित हुआ। इस पराजय के फलस्वरूप बल्लाल को उससे सन्धि करनी पड़ी तथा उसने अलाउद्दीन को वार्षिक कर देना स्वीकार कर लिया। उसने मलिक काफूर को भी अतुल सम्पत्ति उपहार में दी और 1339 ई. तक वह अलाउद्दीन के करद के रूप में शासन करता रहा।
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