प्राचीन भारतीय और पुरातत्व इतिहास >> बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 प्राचीन इतिहास एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- देवगिरि के यादवों का संक्षिप्त राजनैतिक इतिहास बताइये।
उत्तर-
देवगिरि के यादवों का राजनैतिक इतिहास
देवगिरि के यादवों का उदय चालुक्य शासक सोमेश्वर चतुर्थ के यादव सामन्त भिल्लम पंचम (1187-1191 ई.) से आरम्भ होता है जिसने चालुक्य राज्य पर आक्रमण कर उसके उत्तरी जिलों पर अधिकार कर लिया। इस प्रकार कल्याणी पर यादवों का दबदबा हो गया। परन्तु होयसल नरेश बल्लाल द्वितीय ने 1191 ई. के लगभग भिल्लम को पराजित कर दिया तथा वह उसके राज्य की उत्तरी सीमा (कृष्णा नदी) तक बढ़ गया।
भिल्लम के पश्चात् उसका पुत्र जैतुगी राजा बना। उसने वारंगल के काकतीय शासक रुद्र के ऊपर आक्रमण कर उसकी हत्या कर दी तथा उसके भतीजे गणपति को बन्दी बना लिया। रुद्र के भाई महादेव के काल में सम्भवतः पुनः यादवों तथा काकतीयों में युद्ध हुआ। 1199 ई. में महादेव की मृत्यु के बाद जैतुगी ने अपने पुत्र गणपति को मुक्त कर दिया तथा उसे वारंगल की गद्दी पर बैठाया।
जैतुगी के बाद उसका पुत्र सिंहन (1210-1247 ई.) यादव वंश का उत्तराधिकारी हुआ। उसने होयसल नरेश बल्लाल के विरुद्ध पुनः संघर्ष प्रारम्भ किया। बल्लाल कई युद्धों में परास्त हुआ तथा सिंहन ने पुनः उससे उन सभी प्रदेशों को जीत लिया जिन्हें भिल्लम पंचम को हराकर बल्लाल ने जीता था। उसने गुजरात पर भी आक्रमण कर वहाँ अपना अधिकार स्थापित कर लिया। दक्षिणी कोंकण के शिलाहार शासक भोज द्वितीय ने अपनी स्वाधीनता घोषित की जिसे परास्त कर सिंहन ने दक्षिणी कोंकण को अपने राज्य में मिला लिया। इस प्रकार उसके राज्य में समस्त पश्चिमी तथा मध्य दक्षिण के प्रदेश सम्मिलित हो गये।
यादव वंश का अन्तिम स्वतन्त्र शासक रामचंद्र हुआ। 1309 ई. में उसके राज्य पर अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण हुए। यादव पराजित किये गये तथा राचमन्द्र ने अलाउद्दीन के सेनापति मलिक काफूर के समक्ष आत्म-समर्पण कर दिया।
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