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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2743
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मनोविदलता के जैविक तथा मनोवैज्ञानिक कारणों का उल्लेख कीजिए।

अथवा

मनोविदलता के कारणों पर प्रकाश डालिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
1. जननिक कारक।
2. आनुवांशिक कारक।
3. जैव-रासायनिक कारक।
4. न्यूरोफिजयोलाजिकल कारक।
5. मनोवैज्ञानिक कारक।
6. अन्तर्वैक्तिक कारक|

उत्तर-

मनोविदलता की जैविक विचारधारा
(Biological View Point
of Schizophrenia)

मनोविदलता की जैविक विचारधारा को निम्नलिखित दो भागों में बाँट सकते हैं-

1. जननिक कारक (Genetic Factor ) - अनुसंधानकर्ताओं का मत है कि कुछ लोगों में मनोविदलता रोग की जन्म से ही एक जैविक पूर्ववृत्ति होती है। इस संबंध में निम्नलिखित चार अध्ययन किये गये हैं-

(i) गुणसूत्रीय मैपिंग ( Chromosomal Mapping) - इस प्रविधि में शोधकर्ता सबसे पहले कुछ ऐसे परिवारों का चयन करते हैं, जिनमें मनोविदलता बहुत सामान्य है फिर उसके रक्त के नमूने के DNA की तुलना उन लोगों के DNA से करते हैं, जिन्हें मनोविदलता का रोग न हुआ हो।

(ii) मनोविदलता के रोगियों से संबधियों का अध्ययन (Studies of Relatives of Schizophrenia) - अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि मनोविदलता उन व्यक्तियों में जो इस रोग के रोगी के सम्बंधी होते हैं, तुलनात्मक रूप में उन व्यक्तियों में, जो इस रोग के रोगी के संबंधी नहीं होते हैं, उन्हें अधिक होता है।

(iii) जुड़वा बच्चे जिन्हें मनोविदलता का रोग है, का अध्ययन (Studies of Twins Who are Schizophrenic ) - एकांकी जुड़वा बच्चों में आनुवांशिकता 100% तथा भ्रातृीय भ्रात्रीय जुड़वा बच्चों में 50% होते हैं। अध्ययनों में देखा गया है कि यदि एकांकी जुड़वा बच्चों में एक को यह रोग हो तो दूसरे को 40 से 60% इस रोग के होने की संभावना होती है, लेकिन भ्रातृीय जुड़वा बच्चों में एक को रोग होने पर दूसरे को 17% इस रोग के होने की संभावना रहती है।

(iv) मनोविदलता के रोगियों का अध्ययन जो दत्तक रहे हों (Studies of Schizophrenic People Who are Adopted) - दत्तक अध्ययनों से इस बात का प्रमाण मिलता है कि मनोविदलता की मानसिक विकृति में अन्य रोग, जैसे मधुमेह, रक्तचाप आदि के समान एक जननिक आधार है।

2. जैविक कारक (Biological Factors) - मनोविदलता के जैविक कारकों को निम्नलिखित भागों में बाँट सकते हैं-

A. आनुवांशिकता (Heredity) - आनुवांशिकता के प्रभाव के लिए निम्नलिखित अध्ययन हुए हैं-

(i) पारिवारिक अध्ययन ( Family Studies) - अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि जिन परिवार में माता-पिता में से किसी एक को मनोविदलता का रोग था उनके बच्चों में इस रोग की संभावना बढ़ गयी।

(ii) मनोविदलता के रोग से पीड़ित माँ से बच्चों को अलग पाला गया - इस दिशा में किये गये एक अध्ययन में यह देखा गया कि मनोविदलता रोग से पीड़ित माँ के बच्चे को जन्म के तुरंत बाद उससे अलग कर दिया गया परन्तु फिर भी बालक में लक्षण पाये गये हैं।

B. जैव-रासायनिक कारक (Biochemical Factors) - अध्ययनों के आधार पर एच.एई. ए हिमविच (1979) ने यह निष्कर्ष निकाला कि मनोविदलता का रोगी जैविक रूप से अन्य रोगियों और लोगों से भिन्न होता है। जब इस प्रकार के व्यक्ति प्रतिबल परिस्थितियों में होते हैं तब इनके व्यक्तित्व में कुछ ऐसे जैव-रासायनिक तत्व उत्पन्न होते हैं, जो मनोविक्षिप्तता उत्पन्न करते हैं। हिमविच के अध्ययनों की पुष्टि कई लोगों ने की है।

C. न्यूरोफिजियोलोजिकल कारक (Neurophysiological Factors) - इसके अन्तर्गत निम्नलिखित कारक आते हैं-

(i) टेरक्सीन (Taraxcin) - हीथ ने यह देखा कि जब दो अपराधियों के रक्त में टेरक्सीन का इन्जेक्शन लगाया गया तो एक व्यक्ति में कैटेटोनिक मनोविदलता का लक्षण तथा दूसरे में व्यामोही मनोविदलता के लक्षण उत्पन्न हो गये।

(ii) उत्तेजक तथा अन्तर्बाधक प्रक्रियाएँ (Excitary and Inhibtory Process) - अध्ययनों में देखा गया कि मनोविदलता के रोगियों का नाड़ी संस्थान असामान्य रूप से उत्तेजक प्रकार का होता है। जब व्यक्ति के सम्मुख तीव्र उद्दीपन होता है तब व्यक्ति में सुरक्षात्मक अर्न्तबाधा उत्पन्न होती है। इससे व्यक्ति की उत्तेजना कम हो जाती है।

मनोवैज्ञानिक तथा अन्तः वैयक्तिक कारक
(Psychological and Interpersonal Factors)

मनोविदलता के प्रमुख मनोवैज्ञानिक तथा अन्तः वैयक्तिक कारक निम्नलिखित हैं-

1. प्रारंभिक जीवन में मनोघात (Early Psycho-trauma) - बाल्यावस्था में मनोघात मनोविदलता की उत्पत्ति में प्रमुख भूमिका निभाता है। यह प्रारम्भिक जीवन के आघात भविष्य में उत्पन्न होने वाली प्रतिबल परिस्थिति को सहने में व्यक्ति को कमजोर बना देते हैं।

2. दोषपूर्ण संरक्षक - पुत्र तथा पारिवारिक अन्तः क्रियाएँ (Pathogenic Parent- child Relationship and Family Interactions) - मनोविदलता के रोगियों की पारिवारिक अन्तः क्रियाओं संबंधी मुख्य कारक निम्नलिखित हैं-

(i) मनोविदलता रोगी के माँ और पिता (Mother and Father of Schizophrenic) - अध्ययनों के अनुसार मनोविदलता के रोगी की माँ का व्यवहार तिरस्कारपूर्ण, प्रभुत्वशाली, अतिसंरक्षणशाली होता है। एक अध्ययन में देखा गया 80 रोगी बच्चों की माँ में अपनी समस्याओं को सुलझाने की वही समस्यायें थीं जो रोगियों में थीं। एक अन्य अध्ययन में देखा गया कि 16% मातायें मनस्ताप तथा अन्य गंभीर असामान्य रोगों से पीडित थीं।

(ii) पारिवारिक सम्बन्ध और अन्तः क्रियायें (Family Relationships and Interactions) - मनोविदलता के रोगी के परिवार के सदस्यों की भूमिका संरचनायें अनम्य (sigidity) होती हैं। ये अनम्यता बालक के विकास को अवरुद्ध कर देती हैं। मनोविदलित रोगी के परिवार के सदस्यों में संवेगात्मक दूरी तथा संवेगात्मक विच्छेद भी पाया जाता है।

(iii) विनाशकारी विवाह सम्बन्धी अन्तः क्रियायें (Distructive Marital Interactions) -  माता-पिता के वैवाहिक जीवन से सम्बन्धित अन्तः क्रियायें भी बालकों में मनोविदलता की उन्मुखता बढ़ाती हैं।

(iv) दोषपूर्ण संप्रेषण (Defective Communication) - जब रोगी के परिवार के सदस्यों के मध्य संप्रेषण अन्तर्द्वन्द्व उत्पन्न करने वाला तथा अस्पष्ट होता है तब मनोविदलता की संभावना बढ़ जाती है। एक अध्ययन में देखा गया कि दोषपूर्ण संप्रेषण मनोविदलता के रोगी में विचार - विकृति को उत्पन्न कर देता है।

3. सामाजिक भूमिका सम्बन्धी समस्यायें (Social Role Problems) - कैमरॉन तथा मारगेट ने अपने अध्ययन के आधार पर सिद्ध किया कि मनोविदलता के रोगी की सामाजिक भूमिका सम्बन्धी व्यवहार में अनुपयुक्तता होती है।

4. तीव्र प्रतिबल (Excesive Stress) - मनोविदलता के लक्षणों की उत्पत्ति का कारण तीव्र प्रतिबल की परिस्थिति भी हो सकती है। ये परिस्थिति रोगी के लिए असहनीय होती है। कामुकता तथा अवास्तविक आकांक्षा स्तर से सम्बन्धित अनेक परिस्थितियां रोगी के लिए प्रतिबलपूर्ण होती हैं।

5. दोषपूर्ण सीखना (Defective Learning) - मनोविदलता की उत्पत्ति में दोषपूर्ण अधिगम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। दोषपूर्ण अधिगम से सम्बन्धित निम्नलिखित दो परिस्थितियाँ होती हैं-

(i) मानसिक मनोरचनाओं का अतिरंजित उपयोग - जब कोई व्यक्ति मानसिक मनोरचनाओं का उपयोग अतिरंजित ढंग से करता है तब ऐसे व्यक्ति में विभ्रम तथा व्यामोह उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती हैं।

(ii) दुर्बल आत्म- संरचना - दोषपूर्ण अधिगम बहुधा वे बालक करते हैं, जिनकी आत्म- संरचना दुर्बल होती है। दुर्बल आत्म-संरचना वाले बच्चे अपने आपको असुरक्षित तथा अनुपयुक्त ही नहीं समझते बल्कि इन लोगों में आत्म-अवमूल्यन भी पाया जाता है।

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