बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मनोविदलता क्या है? इसके प्रकारों एवं लक्षणों की विवेचना कीजिये।
अथवा
मनोविदलता के विभिन्न प्रकारों तथा लक्षणों का वर्णन कीजिए।
अथवा
मनोविदलता क्या है? इसके प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए-
1. विघटित मनोविदलता (Disorganized Schizophrenia )|
2. कैटेटोनिक मनोविदलता (Catatonic Schizophrenia)|
3. व्यामोही मनोविदलता (Paranoid Schizophrenia)|
4. अविशिष्ट मनोविदलता (Residual Schizophrenia)|
5. मिश्रित मनोविदलता (Undifferentiated Schizophrenia)|
उत्तर-
मनोविदलता का अर्थ (Meaning of Schizophrenia) - इस शीर्षक के लिये दीर्घ उत्तरीय प्रश्न सं. 1 देखें।
(Types of Schizophrenia)
क्रेपलिन ( 1896 ) ने मनोविदलता के तीन प्रकार का वर्णन किया था बीफ्रेनिक (Hebephrenic), कैटेटोनिक (Catatonic) तथा व्यामोही मनोविदलता (Paranoid schizophrenia)|
DSM - IV (1994) में मनोविदलता के प्रमुख पाँच प्रकार बताये गये हैं -
1. विघटित मनोविदलता (Disorganized Schizophrenia) - क्रेपलिन द्वारा हेबीफ्रेनिक मनोविदलता को DSM IV में विघटित मनोविदलता कहा गया है। इस प्रकार की मनोविदलता का प्रमुख लक्षण असंगतता ( Incoherence), संभ्रांति (Confusion) तथा कुंठित प्रभाव (Flat effect) आदि हैं। इस प्रकार के रोगी में विभ्रम तथा व्यामोह, रोगभ्रमी तथा दण्डात्मक लक्षण होते हैं और घटिया ढंग से संगठित होते हैं। रोगी में अपने शरीर से सम्बन्धित विचित्र विचार विशेषकर शारीरिक ह्रास से संबंधित विचार आते हैं। ऐसे रोगियों में चिंतन क्षुब्धता तथा प्रत्यक्षतः ज्ञानात्मक समस्याएँ इतनी प्रबल होती हैं कि उनका सामान्य संचार प्रभावित हो जाता है, जिससे उनमें सामाजिक अलगाव तथा प्रत्याहार व्यवहार मजबूत हो जाते हैं, जैसे- इसमें रोगी बिना किसी कारण के हँसने लगते हैं।
2. कैटेटोनिक मनोविदलता (Catatonic Schizophrenia) - कैटेटोनिक मनोविदलता का वर्णन सबसे पहले 1868 में कार्ल काहावाँम जो एक जर्मन चिकित्सक थे, द्वारा किया गया। इन्होंने इस रोग को तनाव पागलपन (Tension insanity) कहा था। उन्होंने इस विकृति को आंगिक विकृति (Organic disorder) कहा, जिसमें उन्होंने यह बताया कि इस विकृति का कारण मस्तिष्कीय फूलन होता है। यह दो प्रकार की होती है-
(i) मूर्च्छित अवस्था (Stuper or Withdrawn Stage) - इस अवस्था में रोगी घण्टों गतिहीन रह सकता है और एक ही शारीरिक मुद्रा में कई-कई घण्टे बैठा रह सकता है। एक ही अवस्था में घण्टों बैठे रहने के कारण सूजन तथा नींद तक आ सकती है। यदि रोगी की शारीरिक मुद्रा बदलने का प्रयास किया जाए तो वह विरोध करता है।
(ii) उत्तेजित अवस्था (Excited Stage) - मनोविदलता का शान्त रोगी एकाएक उत्तेजित हो सकता है। इस स्थिति में उसकी क्रियाशीलता बहुत बढ़ी हुई होती है। वह अस्पष्ट तथा जोर-जोर से बातें करता है।
3. व्यामोही मनोविदलता (Paranoid Schizophrenia) - इस प्रकार की मनोविदलता अधिक मात्रा में पायी जाती है। इस मनोविदलता के रोगी अनेक प्रकार के व्यामोह से पीड़ित होते हैं। रोगी के व्यामोह अर्थहीन तथा शीघ्र परिवर्तित होने वाले होते हैं। मनोविदलता के आधे रोगी इसी प्रकार में आते हैं। इस मनोविदलता के रोगी में दण्डात्मक व्यामोह सर्वाधिक होते हैं। उसे यह आशंका होती है कि उसके सगे संबंधी उस पर नजर रख रहे हैं। लोग उसे जहर देकर मार डालना चाहते हैं।
4. अविशिष्ट मनोविदलता (Residual Schizophrenia) - इस श्रेणी में मनोविदलता के उन रोगियों को रखते हैं जो मनोविदलता की सम्पूर्ण कसौटी पर खरे नहीं उतरते हैं, परन्तु उनमें मनोविदलता के लक्षण दिखते हैं। अन्य शब्दों में, इस प्रकार के अन्तर्गत मनोविदलता के तीव्र लक्षणों की संख्या तथा तीव्रता तो कम होती है, परन्तु फिर भी वे अविशिष्ट प्रारूप में बने होते हैं। इसमें रोगी में अनुपयुक्त सांवेगिक प्रतिक्रिया, अनोखा व्यवहार तथा कुछ अतार्किक चिंतन के लक्षण होते हैं।
5. मिश्रित मनोविदलता (Undifferential Schizophrenia) - यह मनोविदलता का वह रूप है जो अन्य रूपों की अपेक्षा अधिक दिनों तक बना रहता है। वास्तव में यह मनोविदलता के पूर्ण की अवस्था है। इसमें मिश्रित प्रकार के लक्षण पाये जाते हैं। इस प्रकार के लक्षण गुप्त एवं हल्के प्रकार के होते हैं। इन हल्के मनोविदलता के लक्षणों के होते हुए भी रोगी किसी न किसी सीमा तक अपना समायोजन करने में सफल होता है और अपने दैनिक कार्यों को करते हुए अपनी जीविका चलाता रहता है।
मनोविदलता के लक्षण
(Symptoms of Schizophrenia)
इसके लिए दीर्घ उत्तरीय प्रश्न सं० 1 देखें।
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