बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न - डिस्थीमिया क्या है? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर-
(Dysthymia)
दीर्घकालीन विषादित दशा प्रत्यय का प्रयोग सर्वप्रथम DSM-III में विषादात्मक मनःस्ताप, मनोस्नायुशैथिल्य तथा अन्य मन्दं दीर्घकालीन विषाद को प्रतिस्थापित करने तथा सम्मिलित करने के लिए किया गया था। 1970 के दशक में मनोचिकित्सकीय निदान में विषादात्मक मनस्ताप का निदान काफी प्रचलित था। विषादात्मक निदान का तात्पर्य व्यवहार तथा विचार का कुसमायोजित तथा आवृत्तिमूलक प्रतिमान है जिसका परिणाम विषाद है। दीर्घकालीन विषादित दशा का तात्पर्य अरुचिकर स्वभाव से है। जिसमें विषाद अनुभव करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है। दीर्घकालीन विषादित दशा के लक्षण मुख्य विषादात्मक विकार से मिलते-जुलते हैं। जिसमें कि अत्याधिक अपराधबोध, एकाग्रता में कठिनाई, रुचि में कमी के साथ वे लक्षण भी होते हैं। जोकि मुख्य विषादात्मक विकार में सम्मिलित नहीं होते हैं, जैसे, निराशा के भाव, आत्मविश्वास में कमी, ऊर्जा में कमी तथा चिड़चिडापन। इस प्रकार का विषाद निदान के लिए कम से कम दो वर्ष तक होना चाहिए। ICD 10 के मानक DSM-IV के मानकों के समान ही है।
दीर्घकालीन विषादित दशा विकार जनसमुदाय में पाया जाने वाला सामान्य विकार है जोकि 3-4% रोगियों को प्रभावित करता है इसकी वर्ष की व्यापिकी दर 0.5% है। इसकी उच्च व्यापिकी किशोरों में पाई जाती है तथा 65 वर्ष की आयु के पश्चात कम होने लगती है। यह विकार महिलाओं, अविवाहितों तथा अल्प आय वर्ग के लोगों में समान्यतः अधिक पाया जाता है।
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