बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- द्विध्रुवीय विकृति या उन्माद विषाद विकृति के प्रमुख लक्षणों तथा प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
द्विध्रुवीय विकृति या उन्माद - विषाद विकृति के मुख्य लक्षण का उल्लेख कीजिए।
अथवा
द्विध्रुवीय विकृति को परिभाषित कीजिये तथा इसके मुख्य प्रकारों का वर्णन कीजिये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. चक्रीय अस्थिर मनोदशा या साइक्लोथाइमिक विकृति पर टिप्पणी लिखिए।
2. द्विध्रुवीय विकृति पर टिप्पणी लिखिए।
3. द्विध्रुवीय एक विकृति का उल्लेख कीजिए।
4. द्विध्रुवीय दो विकृति का उल्लेख कीजिए।
5. उत्साह विषाद मनोविकृति के प्रकार का उल्लेख कीजिए।
6. द्विध्रुवीय विकृति के मुख्य प्रकारों का वर्णन कीजिए।
7. उन्मादिक अवक्षेप (Manic Episode) को समझाइये।
8. उत्साह विषाद विकृति के कारणों का उल्लेख कीजिये।
उत्तर-
(Bipolar Disorder or Manic
Depression Disorder)
द्विध्रुवीय विकृति ऐसी विकृति को कहते हैं, जिसे व्यक्ति में बारी-बारी से विषाद तथा उन्माद दोनों प्रकार की अवस्थायें होती हैं। इसी कारण इसे उन्मादी - विषादी विकृति भी कहते हैं।
(Types of Bipolar Disorder)
द्विध्रुवीय विकृति को हम निम्नलिखित तीन भागों में बाँट सकते हैं-
1. साइक्लोथाइमिक विकृति (Cyclothymic Disorder) - साइक्लोथाइमिक विकृति में मनोदशा क्षुब्धता की एक चिरकालिक अवस्था होती है। इसमें विषाद तथा अल्पोन्माद के लक्षण गत दो वर्षों से होते हैं। यद्यपि इसमें विषाद तथा अल्पोन्माद दोनों के लक्षण पाये जाते हैं, परन्तु ये उतने गम्भीर नहीं होते कि वे DSM-IV में निर्धारित विषाद तथा उन्माद की कसौटी को छू सकें । DSM-IV में इस विकृति की निम्नलिखित कसौटियाँ बताई गई हैं-
1. कम से कम दो वर्षों तक अल्पोन्मादी लक्षण तथा अन्य अवधि में विषादी मनोदशा के लक्षण रोगी द्वारा दिखलाये गये हों।
2. दो वर्षों की अवधि में दो महीने से ज्यादा ऐसी कोई अवधि न हो जिसमें रोगी ने इन लक्षणों को दिखलाया न हो।
3. कोई बड़ी विषादी घटना का अनुभव होना।
4. प्रथम दो वर्षों में कोई उन्मादी घटना का अनुभव न होना।
2. द्विध्रुवीय- एक विकृति ( Bipolar- I Disorder) - द्विध्रुवीय- एक विकृति ऐसी विकृति को कहते हैं जिसमें रोगी को एक या एक से अधिक उन्मादी अवस्था एवं एक या एक से अधिक विषादी अवस्था का अनुभव हुआ हो । बहुत कम लोग ऐसे हो सकते हैं जिनको एक या एक से अधिक उन्मादी घटना का अनुभव हो परन्तु उन्हें कोई भी विषादी घटना का अनुभव नं हुआ हो। इसके बावजूद भी ऐसे लोगों को द्विध्रुवीय विकृति का रोगी मानते हैं क्योंकि ऐसी आशा की जाती है कि उन्होंने कभी न कभी विषादी घटना का अनुभव अवश्य किया होगा।
3. द्विध्रुवीय-दो विकृति ( Bipolar-II Disorder) - द्विध्रुवीय-दो विकृति के निम्नलिखित लक्षण प्रमुख हैं-
1. एक या एक से अधिक बड़ी विषादी घटना का अनुभव होना।
2. कम से कम एक अल्पोन्मादी घटना का अनुभव होना।
अल्पोन्मादी घटना ऐसी घटना को कहते हैं जब व्यक्ति को एक खास अवधि तक बढ़ी- चढ़ी एवं चिड़चिड़ी मनोदशा का अनुभव हुआ होता है।
(Symptoms of Manic Episode)
DSM-IV में उन्मादी घटना या उन्माद के निम्नलिखित लक्षण बताये गये हैं-
1. एक सप्ताह तक रोगी की मनोदशा असामान्य ढंग से काफी बढी चढी तथा चिडचिडी सी बनी हुई हो।
2. मनोदशा क्षुब्धता की अवधि में निम्नांकित में से तीन या उससे अधिक लक्षण उपस्थित हों
(a) बढ़ा हुआ आत्मसम्मान, (b) पहले की तुलना में अधिक बातूनी होना, (c) नींद की कमी, (d) ध्यान भंगता और तुच्छ एवं महत्वहीन चीजों के प्रति ध्यान जल्द चले जाना।
इन दोनों विकृतियों में प्रमुख अन्तर यह है कि द्विध्रुवीय-दो विकृति में उन्मादी व्यवहार की गंभीरता द्विध्रुवीय- एक विकृति के उन्मादी व्यवहार से कम होती है।
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