बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मनोविकृति के मानवता-अस्तित्ववादी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
मानवता अस्तित्ववादी मॉडल
मानवतावादी प्रतिमान 1950 एवं 1960 के दशक में मनोविज्ञान में एक मुख्य प्रतिमान के रूप में उभरा। मानवतावादी प्रतिमान में मुख्य रूप से विलियम जेम्स, अब्राहम मेसलो, कार्ल रोजर्स का नाम प्रमुख है। मानवतावादी मॉडल सीखने एवं अन्य मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं के महत्व को मानता तो है परन्तु इसकी मुख्य रुचि व्यक्ति के भूत के स्थान पर उसके भविष्य में रही है। इनकी रुचि प्यार, आशा, रचनात्मकता, मूल्यों, अर्थ, व्यक्तिगत विकास एवं आत्म-पूर्ति की प्रक्रियाओं जिनकी अभी तक वैज्ञानिक जानकारी काफी कम है, में है।
1. आत्म एक एकीकृत विषम सामग्री के रूप में - कार्ल रोजर्स ने मनोउपचार के प्रक्रियाओं के आधार पर आत्म-प्रत्यय का विकास किया। उनके अनुसार एक व्यक्ति की आन्तरिक प्रवृत्ति स्वास्थ्य एवं सम्पूर्णता की ओर होती है। सामान्य परिस्थितियों में एक व्यक्ति तार्किक एवं रचनात्मक रूप से व्यवहार करता है और व्यक्तिगत विकास एवं आत्म-सिद्धि के रास्ते को चुनता है। मानवतावादी मनोवैज्ञानिकों का बल वैयक्तिकता के महत्व पर अधिक है।
2. मूल्यों एवं व्यक्तिगत विकास पर केन्द्रित - मानवतावादी मनोवैज्ञानिकों की रुचि मूल्यों और व्यवहार को निर्देशित करने में मूल्य के चुनाव की प्रक्रिया तथा जीवन के अर्थ को प्राप्त करने में रही है।
इस प्रतिमान की मुख्य आलोचना इसका अवैज्ञानिक होना है। इसके प्रत्यय अस्पष्ट हैं एवं इसे ठीक प्रकार से समझना कठिन है। असामान्य व्यवहार की व्याख्या में तात्कालिक चेतना के अतिरिक्त अन्य कारकों की उपेक्षा की गई है। इस प्रतिमान में असामान्य व्यवहार की व्याख्या के लिए मानव विकास पर अत्यधिक बल दिया गया है जबकि अन्य कारकों को बिलकुल भुला दिया गया है।
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