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बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- बौद्धिक अक्षमता के अर्थ को स्पष्ट करते हुए उसके विभिन्न स्तरों या प्रकारों का वर्णन करें।
अथवा
बौद्धिक अक्षमता को परिभाषित करें तथा उसके विभिन्न स्तरों को समझाइए।
सम्बन्धितलघु उत्तरीय प्रश्न
1. बौद्धिक अक्षमता को बुद्धि की कसौटी के आधार पर समझाइए।
2. बौद्धिक अक्षमता के अर्थ की व्याख्या कीजिए।
3. बौद्धिक अक्षमता के स्तर का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर-
बौद्धिक अक्षमता या मन्दन या जिसे मानसिक न्यूनता भी कहा जाता है। मानसिक दुर्बलता का संबंध वर्तमान क्रियावाही में पर्याप्त परिसीमाओं से होता है। इसमें सार्थक रूप से अधोऔसत बौद्धिक क्रिया होती है तथा निम्नांकित समायोजी कौशल क्षेत्रों में से दो या दो से अधिक में संबंधित परिसीमाएँ साथ-साथ होती हैं संचार, आत्म-देखरेख, घरेलू जिन्दगी, सामाजिक कौशल, सामुदायिक अनुप्रयोग, आत्म- दिशा, स्वास्थ्य, सुरक्षा कार्यात्मक शिक्षा, अवकाश एवं कार्य। मानसिक दुर्बलता 18 साल की आयु के पहले ही अभिलक्षित होती है। DSMIV में (1994) बौद्धिक अक्षमता को समायोजी व्यवहार में कमी के साथ सार्थक रूप से अधोऔसत बौद्धिक कार्यवाही के रूप में परिभाषित किया जाता है तथा यह 18 वर्ष की आयु से पहले अभिलक्षित हो जाता है। बौद्धिक अक्षमता के बारे में हम निम्नांकित निष्कर्ष पर पहुँचते हैं-
(i) बौद्धिक अक्षमता में व्यक्ति की बौद्धिक कार्यवाही सार्थक रूप से अधोऔसत होती है। DSM-IV के कसौटी के अनुसार ऐसे व्यक्ति की बुद्धिलब्धि 70 से नीचे होती है।
(ii) व्यक्ति अपने उम्र के अनुसार वर्तमान समायोजी व्यवहार को नहीं कर पाता है तथा कम से कम इन क्षेत्रों में से दो में व्यक्ति की प्रभावशीलता काफी चिताजनक होती है- संचार, आत्म-देखरेख, घरेलू जीवन, सामाजिक कैशल, सामुदायिक प्रयोग, आत्म-निदेश, कार्यात्मक शैक्षिक कौशल, स्वास्थ्य तथा सुरक्षा।
(iii) इस तरह की मानसिक दुर्बलता की शुरुआत अर्थात इसके लक्षण 18 साल की आयु के पहले ही प्रारम्भ हो जाते है। इस श्रेणी में उन लोगों को नहीं रखा जाता है जिनमें मानसिक दुर्बलता के लक्षण 18 साल की आयु के बाद किसी विशेष कारक जैसे मस्तिष्क क्षति या रोग से हुआ होता है।
बौद्धिक अक्षमता के स्तर या प्रकार
नैदानिक मनोवैज्ञानिकों के अनुसार, मानसिक दुर्बलता के कई स्तर या प्रकार बतलाए गए हैं। बौद्धिक अक्षमता के स्तर का निर्धारण कुछ कसौटियों के आधार पर किया गया है। वे निम्न हैं-
1. बुद्धि की कसौटी के आधार पर - नैदानिक मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि मापकर व्यक्ति की मानसिक दुर्बलता के विभिन्न स्तर को वर्णित किया है। बुद्धिलब्धि की मात्रा के आधार पर प्रारम्भ में मानसिक दुर्बलता के निम्नांकित तीन स्तर या प्रकार बतलाए गए हैं-
(i) मूर्ख (Moron) - इस श्रेणी के बौद्धिक रूप से दुर्बल व्यक्तियों की बुद्धिलब्धि 50 से 69 के बीच होती है तथा उनकी मानसिक आयु 8 वर्ष या उससे थोड़ी अधिक होती है।
(ii) मूढ़ (Imbecile) - इस श्रेणी के बौद्धिक रूप से दुर्बल व्यक्तियों की बुद्धिलब्धि 20 से 40 के बीच होती है तथा मानसिक आयु 3 से 7 साल के भीतर होती है।
(iii) जड़ (Idiot ) - इस श्रेणी के बौद्धिक रूप से दुर्बल व्यक्तियों की बुद्धिलब्धि 20 से से नीचे होती है तथा इनकी मानसिक आयु 3 साल से कम होती है।
प्रारम्भ में उपर्युक्त तीन श्रेणियों के अलावा एक और श्रेणी का भी उल्लेख मिलता है जिसे जड़ पंडित कहा जाता है। ऐसे लोगों की बुद्धिलब्धि तो कम अवश्य होती है परन्तु उनमें कुछ विशेष असाधारण क्षमता जैसे असाधारण स्मृति, असाधारण संगीतिक क्षमता या असाधारण यांत्रिक क्षमता आदि होती है।
अमेरिकन एशोसियशन ऑन मेन्टल डिफिसियेन्सी तथा अमेरिकन मनोरोगविज्ञानी संघ ने मिलकर बुद्धि के आधार पर बौद्धिक अक्षमता के निम्नांकित चार प्रमुख स्तर बतलाए हैं-
1. अल्प मानसिक दुर्बलता - इस श्रेणी की मानसिक दुर्बलता से ग्रस्त व्यक्तियों की बुद्धि लब्धि (IQ) 52-67 के बीच होती है तथा वयस्क हो जाने पर भी इनकी बौद्धिक क्षमता 9 से 11 साल के बालकों के करीब होती है। ऐसे लोग कुछ शिक्षण ग्रहण करने योग्य होते हैं तथा, माता- पिता के सहयोग एवं विशेष शैक्षिक प्रोग्राम द्वारा इनके सामाजिक अभियोजन के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। साधारण शैक्षणिक एवं व्यावसायिक कौशलों को अर्जित करने लायक इन्हें बनाया जा सकता है।
2. साधारण मानसिक दुर्बलता - इस श्रेणी के मानसिक रूप से दुर्बल व्यक्तियों की बुद्धिलब्धि 35 से 51 के बीच होती है तथा वयस्क हो जाने पर भी इनकी बौद्धिक क्षमता 4 से 7 साल के बच्चों के बराबर होती है। इनकी शारीरिक बनावट बैडौल एवं कुरूप होती है तथा इनमें क्रियात्मक समन्वय संबंधी दोष पाए जाते हैं। इनमें से कुछ लोग आक्रामक एवं बैरी प्रकृति के भी होते हैं।
3. गंभीर मानसिक दुर्बलता - इस श्रेणी की मानसिक दुर्बलता की प्रकृति काफी गंभीर होती है और इसमें आने वाले व्यक्तियों की बुद्धिलब्धि 25 से 35 के बीच होती है। इन्हें आश्रित दुर्बल भी कहा जाता है। ऐसे लोग अपनी देख-रेख स्वयं नहीं कर पाते हैं, बल्कि वे दूसरों पर इसके लिए निर्भर रहते हैं। इन लोगों का क्रियात्मक एवं भाषण विकास काफी दुर्बल एवं कमजोर होता है। इनमें संवेदी दोष तथा क्रियात्मक विकलांगता भी होती है। विशेष प्रशिक्षण दिए जाने पर इनमें से कुछ साधारण व्यावसायिक कार्य किसी के निरीक्षण में करने के लायक हो जाते हैं।
4. अति गंभीर मानसिक दुर्बलता - मानसिक दुर्बलता का यह सबसे गंभीर प्रकार है। इससे ग्रस्त व्यक्ति की बुद्धिलब्धि 20 से नीचे होती है। ऐसे लोग साधारण से साधारण कार्य करना भी नहीं सीख पाते हैं। ऐसे व्यक्तियों में कई तरह के शारीरिक दोष होते हैं। इन लोगों में केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र से संबंधित दोष भी होते हैं। फलस्वरूप ऐसे लोग अपने से न खा सकते हैं, न कपड़ा पहन सकते हैं और न बाहरी खतरों से अपने आपको बचा ही सकते हैं। इन लोगों में गूंगापन, बहरापन, पेशीय संकुचन एवं ऐंठन आदि को देखने को मिलता है तथा रोग से लड़ने की ताकत भी कम होती है।
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