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बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- बौद्धिक अक्षमता को नैदानिक कसौटी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
अथवा
नैदानिक कसौटी के आधार पर बौद्धिक अक्षमता के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. डाउन संलक्षण क्या है?
2. लघुशीर्षता तथा दीर्घशीर्षता किसे कहते हैं?
3. टर्नर संलक्षण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
4. बौनापन के लक्षण समझाइए।
उत्तर-
नैदानिक कसौटी के आधार पर भी मानसिक दुर्बलता के कई प्रकार बतलाए गए हैं। ऐसे प्रकारों में स्पष्ट रूप से कुछ-न-कुछ जैविक विकृतियाँ होती हैं ऐसे नैदानिक प्रकारों में निम्नांकित प्रमुख हैं-
1. डाउन संलक्षण या मंगोलिज्म - इस प्रकार की मानसिक दुर्बलता की पहचान सबसे पहले ब्रिटेन के मनोचिकित्सक लैगडान डाउन ने 1886 ई. में की थी। इस श्रेणी के व्यक्तियों की बुद्धिलब्धि 25 से 50 के बीच होती है तथा इसकी मानसिक आयु 6-7 वर्ष तक की होती है। ऐसे व्यक्तियों के चेहरे की बनावट मंगोलियन जाति के लोगों से मिलती-जुलती है। इसलिए इसे मंगोलिज्म भी कहा जाता है। ऐसे व्यक्ति के चेहरे गोल, आँखें धँसी हुई, नाक छोटी और चपटी, हाथ छोटे परन्तु मोटे एवं जीभ पर एक गहरा दरार होता है। इसके बावजूद ऐसे लोग अपनी देख-रेख संबंधी कौशल तथा स्वीकार्य सामाजिक व्यवहार बहुत हद तक सीखने में सफल हो जाते हैं। डाउन संलक्षण वाले अधिकतर बच्चों की बुद्धिलब्धि करीब 50 होती है। इनकी बौद्धिक हीनता उच्च स्तरीय संज्ञानात्मक कौशल जैसे संप्रत्यय निर्माण तथा लचीले समस्या समाधान करते समय स्पष्ट रूप से दिखती है। ऐसे बच्चों में भाषा से सम्बन्धित हीनता भी देखने को मिलती है। अनुसंधानों से स्पष्ट हुआ है कि ऐसे व्यक्तियों में क्रोमोजोम्स के 21वाँ युग्म में एक अतिरिक्त क्रोमाजोम्स होता है। फलस्वरूप ऐसे लोगों में क्रोमोजोम्स की संख्या 46 न होकर 47 होती है। यह पीढ़ी-दर-पीढी चलने वाला जन्मजात रोग नहीं होता है।
2. फेनिलकेटोन्यूरिया - PKU एक ऐसी मानसिक दुर्बलता है जिसका संबंध प्रोटीन चपापचय में गड़बडी से होता है। इसमें 6 से 12 महीने के अन्दर मानसिक दुर्बलता के लक्षण दीखाई पड़ते हैं। ऐसे बच्चों की आँख, त्वचा एवं बाल के रंग फीके होते हैं। PKU के प्रारम्भिक पहचान का भोजन संबंधी नियंत्रण करके इसका उपचार काफी हद तक किया जा सकता है।
3. बौनापन - इस तरह की मानसिक दुर्बलता को हाईपोथारोयाडिज्म भी कहा जाता है। यह दुर्बलता थायराइड हारमोन्स की अत्यधिक कमी या अनुपस्थिति से उत्पन्न होती है। ऐसे व्यक्ति का कद बौना, सिर बडा, गर्दन मोटी पर छोटी एवं आँखों की पलकें भी मोटी होती हैं। इनमें यौन विकास, संवेगात्मक विकास एवं क्रियात्मक विकास सीमित तथा देर से होता है। ऐसे बच्चों को हारमोन्स चिकित्सा विशेषकर थायरक्सीन की टिकिया या सूई नियमित रूप से देकर मानसिक तथा शारीरिक अवस्था को सामान्य बनाया जा सकता है।
4. लघुशीर्षता तथा वृहद्शीर्षता - इस प्रकार की अक्षमता का संबंध कपालीय विसंगति से है । लघुशीर्षता से व्यक्ति का सिर सामान्य से काफी छोटा होता है अर्थात् सिर की परिधि 17 इंच से शायद ही अधिक होती हो, कद छोटा एवं नाटा, यौन अंगों का सामान्य विकास, भाषा विकास न के बराबर होता है। इसे रोकने संबंधी उपायों में माताओं को गर्भावस्था में किसी तरह के संक्रमण एवं विकिरण से बचने की सलाह दी जाती है।
वृहतशीर्षता में व्यक्ति का सिर जरूरत से ज्यादा बड़ा होता है। इस तरह के मानसिक दुर्बलता में रोगी के मस्तिष्क के आकार तथा वजन में वृद्धि गलियाँ कोशिकाओं जो मस्तिष्क के उत्तकों का एक समर्थक संरचना होती है, में असमान्य विकास होता है। इससे बच्चों में दृष्टि क्षीणता, कम्पन तथा अन्य स्नायविक लक्षण भी देखने को मिलते हैं। ऐसे बच्चों की मानसिक दुर्बलता का स्तर गंभीर होता है। इनका कोई उपचार नहीं होता है परन्तु ऐसी दुर्बलता विरल होती है।
5. टर्नर संलक्षण - इस तरह की दुर्बलता सिर्फ बालिकाओं में पायी जाती है। इस तरह की बालिकाओं की गर्दन छोटी एवं झुकी होती है तथा इनमें लैंगिक अपरिपक्वता भी पायी जाती है। इनकी बुद्धिलब्धि 30-40 के लगभग होती है। इस तरह की मानसिक दुर्बलता का कारण यौन क्रोमोजोम्स में गड़बड़ी होती है क्योंकि ऐसी बालिकाओं में सिर्फ एक ही X कोमोजोम्स (XO) पाया जाता है।
6. जलशीर्षता - इस प्रकार की बौद्धिक अक्षमता से ग्रस्त शिशु के मस्तिष्क में एक प्रकार का जलद्रव जिसे सेरेब्रोस्पाइन द्रव कहा जाता है, अत्याधिक मात्रा में जमा हो जाता है, जिससे मस्तिष्क का आकार बड़ा हो जाता है। गंभीरता बढ़ने पर शिशु में कम्पन एवं पक्षघात के भी लक्षण दिखाई पड़ते हैं। जलशीर्षता की अवस्था जन्मजात होती है परन्तु कभी-कभी यह उन बच्चों में भी विकसित हो जाता है जिनका विकास सामान्य होता है।
7. क्लाइनफेल्टर संलक्षण - इस तरह की मानसिक दुर्बलता सिर्फ पुरुषों या बालकों में होती है। इससे ग्रसित बालक की विशेषताएँ कुछ अलग-अलग होती हैं। परन्तु एक सामान्य विशेषता है, यौन ग्रन्थि की न्यूनता पायी जाती है। ऐसे बालकों में वयस्कता आ जाने पर भी उनकी यौन ग्रन्थि अपरिपक्व होती है। इनकीं बुद्धिलब्धि प्रायः 35-40 के बीच में होती है। इस तरह की मानसिक दुर्बलता का कारण भी यौन क्रोमोजोम्स की विसंगताएँ होती हैं। ऐसे बालकों में सामान्य यौन क्रोमोजोम्स XY न होकर XXY होता है।
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