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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2743
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- असामान्य व्यवहार के मनोवैज्ञानिक कारणों का वर्णन कीजिये।

उत्तर-

व्यक्तित्व के विकास में जीवन के प्रारम्भिक वर्षों का बहुत अधिक महत्व है। यदि बालक को पर्याप्त मनोवैज्ञानिक वातावरण नहीं मिलता है तो उसका समायोजन दोषपूर्ण हो जाता है और उसमें मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते हैं। असामान्य व्यवहार के मनोवैज्ञानिक कारक निम्नलिखित हैं-

1. मातृ वंचन - बालक के मानसिक विकास में माँ की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती है। प्रायः नौकरी-पेशा माताएँ अपने बच्चों को शिशुगृहों में छोड़कर अपने काम पर जाती है। यहाँ पर बच्चों को न तो माँ की गोद की गर्मी प्राप्त होती है और न ही संवेगात्मक, बौद्धिक और सामाजिक उत्तेजना प्राप्त होती है। इसी प्रकार यदि घर पर भी बच्चों को माँ का उचित पालन- पोषण नहीं प्राप्त होता है तो उसमें मानसिक विकृतियाँ उत्पन्न होने की सम्भावना अधिक होती है और उसका व्यवहार सामान्य नहीं हो पाता है।

2. विकृत पारिवारिक प्रतिमान - प्रत्येक बालक अपने माता-पिता से स्नेह चाहता है। इससे उसमें उपयुक्त सुरक्षा की भावना और आत्मप्रत्यय निर्मित होने में सहायता मिलती है। यदि बालक का माता-पिता द्वारा तिरस्कार किया जाता है तो उसके व्यवहार में भय, असुरक्षा, ईर्ष्या, विरोध, स्नेह प्राप्ति की अतिरंजित आकांक्षा आदि असामान्य लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त बालक को दिया जाने वाला अति संरक्षण, अत्यधिक छूट, अत्यधिक इच्छापूर्ति, आवश्यकता से अधिक लाड़-प्यार आदि उसमें असामान्य व्यवहार उत्पन्न कर देते हैं। यदि माता- पिता बच्चों को अत्यधिक कठोर अनुशासन में रखते हैं या उनकी क्षमता से अधिक अपेक्षा रखते हैं तो बालक का व्यवहार असामान्य हो जाता है। इसके साथ-साथ परिवार में माता-पिता का सामाजिक कुसमायोजन भी बालक के असामान्य व्यवहार का कारण होता है।

3. दोषपूर्ण पारिवारिक - संरचना परिवार की दोषपूर्ण संरचना भी बालक में असामान्य व्यवहार उत्पन्न करती है। बालक के माता-पिता के साथ सम्बन्ध उसके व्यवहार को निर्धारित करते हैं । दोषपूर्ण पारिवारिक संरचना के अन्तर्गत अनुपयुक्त परिवार, बाधित परिवार, समाज विरोधी परिवार, भग्न परिवार आदि आते हैं।

4. प्रारम्भिक जीवन के मानसिक आघात - जीवन के प्रारम्भिक काल में कुछ ऐसी घटनाएँ घटित होती हैं जो बालक के लिए मानसिक रूप से आघातपूर्ण ही नहीं होती हैं बल्कि उसके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को हिला देती हैं। ऐसी घटनाओं का प्रभाव जीवनपर्यन्त बना रहता है तथा उसके व्यवहार को असामान्य बना देता है।

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