बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मद्यपानता के नैदानिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
मद्यपानता के नैदानिक स्वरूप की व्याख्या उसके पड़ने वाले बुरे परिणामों के रूप में की गयी है। इस सम्बन्ध में जापान की एक मशहूर लोकोक्ति है, "पहले व्यक्ति शराब को पीता है, फिर शराब ही शराब को पीता है और तब अन्त में शराब आदमी को ही पी जाती है।"
अध्ययनों से स्पष्ट हुआ कि मद्यपान व्यसनी का उच्च मस्तिष्कीय केन्द्र अल्कोहल से इतना अधिक प्रभावित हो जाता है कि इनका चिन्तन एवं सही निर्णय करने की क्षमता लगभग समाप्त हो जाती है। इनका आत्म नियंत्रण समाप्त हो जाता है। ऐसे लोगों में क्रियात्मक समन्वय ढीला पड़ जाता है और उनमें दर्द, सर्द तथा अन्य इसी तरह की अनुभूतियों के प्रत्यक्षण में विभेद करने की क्षमता कम हो जाती है।
मद्यपान - व्यसनी को पीने के बाद कुछ देर तक अतिरिक्त शक्ति, फुर्तीलापन, खुशी, संतोष, आदि का अनुभव होने लगता है। वह अवास्तविकता की दुनियाँ में पहुँच जाता है जहाँ न तो उसे किसी प्रकार की चिन्ता और न ही किसी प्रकार का भय होता है।
मद्यपान-व्यसनी में लैंगिक उत्तेजन अधिक पाया जाता है परन्तु लैंगिक निष्पादन में कमी पायी जाती है।
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