बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- केन्नाबिस सम्बद्ध विकृति किसे कहते हैं? मैरीजुआना से सम्बद्ध विकृतियों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
मैरीजुआना से सम्बद्ध विकृति के लक्षणों, कारणों एवं उपचार पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. केन्नबिस सम्बद्ध विकृति किसे कहते हैं?
2. मैरीजुआना के मनोवैज्ञानिक एवं दैहिक प्रभाव का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
केन्नाबिस सम्बद्ध विकृति (Cannabis related disorders) - DSM-IV में केन्नाबिस सम्बद्ध विकृति एक स्वतंत्र श्रेणी की विकृति है जिसमें केन्नाबियो आयड्स से उत्पन्न समस्याओं पर विचार किया गया है। यह एक ऐसा तत्व है जो केन्नाबिस पौधे से उत्पन्न होता है। इस पौधे को हेम्प पौधा या केन्नाबिस सटिवा कहा जाता है। जो समूचे संसार के गर्म जलवायु में उपजता है। इसके मुख्य तत्व को डेल्टा - 9 टेट्राहाइड्रोकेन्नाबिनोल (delta tetra- hydrocannabinol or delta-9 THC) कहा जाता है। THC इस पौधों की पत्तियों एवं फूलों के राल या ऐसिन से तैयार किया जाता है। हेम्प के विभिन्न प्रकारों से उत्पन्न औषध को एक संयुक्त नाम दिया गया है जिसे केन्नाबिस कहा जाता है। इस समूह के सबसे शक्तिमान औषध को हशिश (Hashish) तथा सबसे कमजोर औषध को मैरीजुआना कहा जाता है।
मैरीजुआना का प्रभाव (Effect of Marijuana) - 1970 वाले दशक तक जो मैरीजुआना का उपयोग होता था वह कम शक्ति की होती थी अर्थात् उसमें THC की मात्रा कम होती थी । परन्तु अब जो मैरीजुआना बाजार में उपलब्ध है, उसमें THC की मात्रा पहले वाले मैरीजुआना में पाए जाने वाले THC की मात्रा से करीब 10 से 15 प्रतिशत अधिक होती है। इसका परिणाम यह होता है कि आज के लोग जब इसका सेवन अधिक मात्रा में करते हैं, तो उसमें मैरीजुआना के प्रति निर्भरता विकसित हो जाती है। जैसे-जैसे मैरीजुआना की शक्ति तथा उपयोग में वृद्धि हुई है, शोधकर्त्ताओं द्वारा इस निष्कर्ष पर पहुँचा गया है कि ऐसे तत्व का धूम्रपानं करने से खतरनाक परिणाम होते हैं। हुकर तथा जोन्स (Hooker & Jones, 1987) के अध्ययन के अनुसार मैरीजुआना व्यक्ति के संज्ञानात्मक कार्यों में भी बाधक होता है। ऐसे लोगों को एकाग्रता में कठिनाई तथा वे हाल में घटित घटना को भी ठीक ढंग से याद नहीं कर पाते हैं। जब इसका प्रयोग काफी अधिक दिनों से किया जाता है, तो इससे व्यक्ति में फेफड़े का रोग उत्पन्न होने का डर बना रहता है। अध्ययनों से यह भी स्पष्ट हुआ है कि इससे व्यक्ति में अपने फेफड़े से साँस बाहर छोड़ने की क्षमता में कमी आ जाती है।
रे एवं कसीर (Ray & Ksir, 1993 ) ने अपने अध्ययन के आधार पर स्पष्ट किया कि मैरीजुआना के धुआँ में अधिक टार एवं वेनजोपाइरिन होता है जिससे उसमें कैंसर उत्पन्न होने की सम्भावना अधिक बढ़ जाती है। मैरीजुआना के चिरकालिक रोगियों में मानवीय जनन क्षमता भी काफी प्रभावित हो जाती है।
स्पष्ट है कि मैरीजुआना के मनोवैज्ञानिक प्रभाव तथा दैहिक प्रभाव स्पष्ट रूप से होते हैं। साथ ही साथ इसका चिकित्सीय प्रभाव भी होता है। सलन, जिनबर्ग तथा फ्रेई (1975) द्वारा कई द्विअंध अध्ययन किये गए जिसमें यह पाया गया कि टीएचसी (THC) तथा अन्य सम्बद्ध औषध कैंसर के कुछ रोगियों में रसायन चिकित्सा के बाद भूख की कमी तथा मितली को दूर करने में सफल होता है। जब भी कोई अन्य औषध मितली जैसी प्रवृत्ति को रोकने में सफल नहीं होता है, तो मैरीजुआना का उपयोग करके इस तरह की प्रवृत्ति को आसानी से कम किया जाता है।
मैरीजुआना का प्रयोग एड्स (AIDS) रोग से उत्पन्न तकलीफों को दूर करने के लिए किया जाता है। क्लिन (1992) के अध्ययनानुसार एड्स के रोगी द्वारा मैरीजुआना का धूम्रपान किए जाने पर इससे रोग के भूख में वृद्धि होती है, उसकी मितली में कमी आती है तथा उसे अच्छी नींद भी आती है। मैरीजुआना के धूम्रपान से ग्लूकोमा के रोगी को भी आराम मिलता है। ग्लूकोमा एक ऐसा रोग है जिसमें नेत्र गोलक से तरल पदार्थ का निकलना अवरुद्ध हो जाता है।
मैरीजुआना के उपर्युक्त चिकित्सकीय प्रभाव सर्वमान्य नहीं हैं और इस पर वाद-विवाद जारी है। कुछ लोगों का यह मत है कि मैरीजुआना स्वास्थ्य के लिए बुरा होता है। जैसे टीएचसी (THC) आजकल गोली के रूप में उपलब्ध है और बहुत से रोगी जब इसका उपयोग करते हैं तो उन्हें कै हो जाता है तथा इस एड्स के रोगियों में भी वांछित प्रभाव उत्पन्न करते नहीं देखा गया है। ग्लूकोमा के रोगी भी इससे लाभान्वित होते नहीं पाए गए।
स्पष्टतः कह सकते हैं कि केन्नाबिस सम्बद्ध समस्याएँ कई हैं। केन्नाबिस समूह में मैरीजुआना सबसे प्रमुख एवं सामान्य औषध है जिसका प्रभाव व्यक्ति पर मनोवैज्ञानिक, दैहिक एवं चिकित्सकीय भी पड़ता है।
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